करीब 35 किलोमीटर इस पैदल यात्रा में 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव के प्रतीक श्रीखंड महादेव तक पहुंचने की कठिन परीक्षा है।
दुनिया की सबसे कठिनतम यात्राओं में शुमार हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित श्रीखंड महादेव कैलाश यात्रा गुरुवार को आधिकारिक तौर पर शुरू हो गई है। यह यात्रा श्रद्धा, आत्मबल और साहस का अद्भुत संगम मानी जाती है। सुबह 5:30 बजे सिंहगाड़ से श्रद्धालुओं का पहला जत्था भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुआ। यात्रा का विधिवत शुभारंभ प्रदेश मिल्क फेल्डरेशन के चेयरमैन बुद्धि सिंह ठाकुर और जिला परिषद अध्यक्ष कुल्लू पंकज परमार ने हरी झंडी दिखाकर किया। इस दाैरान पूरा क्षेत्र भगवान भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा। यात्रा 10 से 23 जुलाई तक चलेगी। अब तक 5,198 श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके हैं। हर दिन 800 श्रद्धालुओं को यात्रा पर जाने की अनुमति दी जाएगी। यात्रा शुरू करने से पहले हर श्रद्धालु की मेडिकल जांच जरूरी है।
करीब 35 किलोमीटर इस पैदल यात्रा में 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव के प्रतीक श्रीखंड महादेव तक पहुंचने की कठिन परीक्षा है। निरमंड के जाओं गांव से इस कठिन यात्रा की शुरुआत हुई। संकरे रास्ते, खड़ी एवं कठिन चढ़ाई में गुजरने के बाद भक्तों का पहला पड़ाव सिंहगाड़ होगा। इसके बाद थाचडू, काली घाटी, भीम तलाई, भीमडवारी, पार्वती बाग और नयन सरोवर जैसे सुंदर स्थानों से गुजरकर श्रद्धालु श्रीखंड महादेव के दर्शन करने पहुंचते हैं।
एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने बताया कि यात्रा से पहले पूरे मार्ग की रैकी कर जरूरी मरम्मत की गई है। सराय, पेयजल, शौचालय और अन्य मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त किया गया है। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे ऑनलाइन पंजीकरण करें। श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े, मजबूत जूते, छाता और रेनकोट साथ ले जाना अनिवार्य है। यात्रा को पूरा करने में आमतौर पर 3 से 4 दिन लगते हैं। अब तक के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से अब तक 44 श्रद्धालुओं की यात्रा के दौरान मृत्यु हो चुकी है। अधिकांश मामलों में ऑक्सीजन की कमी, दिल की बीमारी, बीपी और शुगर जैसी बीमारियों के कारण ऐसा हुआ है।
यात्रा मार्ग में सिंहगाड़, भीमडवारी, पार्वती बाग और थाचडू में बेस कैंप और मेडिकल सहायता केंद्र बनाए गए हैं। यहां मेडिकल टीमें, ऑक्सीजन सिलिंडर, दवाएं, और रेस्क्यू टीमें तैनात रहेंगी। पुलिस और होमगार्ड की टीमें भी भी सुरक्षा में जुटी हैं। प्रशासन की कोशिश है कि यात्रा मानसून के खतरे से पहले संपन्न हो जाए।