स्क्रब टायफस के इलाज में देरी करने पर मरीजों की नसों में ही खून जम सकता है या ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। यह बात आईजीएमसी शिमला के विशेषज्ञों के अध्ययन में सामने आई है। यह स्टडी आईजीएमसी में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय महाजन की निगरानी में सह आचार्य डॉ. बलराज सिंह, रेजिडेंट डॉ. दीप्ति सिंगला और डॉ. कोमल अहिरे ने की है। इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स इंडिया ने एक शोध पत्र छापा है।यह अध्ययन 71 मरीजों पर किया गया। इनमें 45 महिलाएं थीं। इनमें 70 को बुखार था। 22 को मांसलता में पीड़ा थी। 13 को पेचिस थी। 11 को खांसी, उल्टी और सिरदर्द हुआ। 10 संज्ञा शून्यता यानी अचेत जैसी अवस्था में थे। 9 को पेट दर्द था। इनमें से 42 मरीजों में मल्टीपल ऑरगन डिस्फंक्शन सिंड्रोम यानी एमओडीएस हुआ, जो 59.1 प्रतिशत मरीज थे। 33 मरीजों यानी 46.6 प्रतिशत में सेप्टिक शॉक हुआ।संक्रमण से इनका रक्तचाप गिर गया। 24 मरीजों यानी 33.8 प्रतिशत में सेप्टिक शॉक के साथ एमओडीएस हुआ। 17 मरीजों में डिसेमिनेटेड इंट्रावास्कुलर कोगुलेशन (डीआईसी) पाया गया। यानी नसों में खून जम गया। ब्लीडिंग शुरू हो गई। आठ मरीजों की मौत हो गई।