धर्मपुर के स्याठी गांव में आपदा प्रभावित सहमे, न घर बचा, न जमीन, सोच में डूबे परिवार

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जिला मंडी के स्याठी गांव के लोगों से नुकसान देखा नहीं जा रहा है। सोच में डूबे परिवार अब बीमार होने लगे हैं।

आपदा ने धर्मपुर के स्याठी गांव के बाशिंदों की जीवनभर की पूंजी पलभर में मिट्टी में मिला दी है। मानसून से मिले जख्मों को देखकर लोग चक्कर खाकर गिर रहे हैं। अपना सब कुछ गवां चुके दंपती कृष्ण सिंह और राजो को तो अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है। कृष्ण सिंह को एम्स बिलासपुर ले जाया गया है जबकि राजो को सरकाघाट अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। नुकसान इतना है कि देखा नहीं जा रहा है। सोच में डूबे परिवार अब बीमार होने लगे हैं। गांव में अजीब सी खामोशी है, सन्नाटा पसरा है।

राहत शिविरों में रह रहे ग्रामीण सहम गए हैं। बादल फटने से पहले गांव खुशहाल था, लेकिन पानी आते ही पलभर में मिट्टी बन गया। एक मकान के चारों ओर खाई बन गई है लेकिन मकान टिका है। ग्रामीणों की अब रोते-जागते हुए दिन-रात बीत रहे हैं। भय और चिंता के बीच ग्रामीण बस एक-दूसरे को देखकर भावुक हो रहे हैं। प्रभाविताें के जहन में बस एक ही सवाल बार-बार आ रहा है कि आगे क्या होगा? बच्चों के साथ अपने भविष्य की चिंता चेहरे पर साफ झलक रही हैं।

मुख्यमंत्री का आश्वासन गांववासियों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि प्रभावितों को पूर्ण मुआवजा दिया जाएगा। आपदा के बाद गांव के प्रभावित परिवारों को मंदिर में अस्थायी रूप से ठहराया गया है। मंदिर की सराय में गुजर बसर हो रहा है। मंदिर परिसर में ही भोजन, पानी और जरूरत का अन्य सामान पहुंचाया जा रहा है।

ग्रामीणों पार्वती देवी, शनिचरू, डुमणू, धनी राम, हल्कू, विशाल, रजनीश, देशराज, संतोष आदि ने कहा कि आपदा ने उनके जीवन को बिखेर दिया है। एक इंच जमीन उपलब्ध नहीं है, जहां मकान बनाया जा सके। तन में पहने कपड़े के अलावा कुछ नहीं बच पाया है। बच्चों के प्रमाणपत्र, गहने, नकदी, जरूरी दस्तावेज सब बह गया है। रात को इसी चिंता में नींद तक नहीं आ रही है। लौंगणी पंचायत प्रधान मीना देवी, उपप्रधान पृथी और पूर्व प्रधान देशराज पालसरा की देखरेख में आपदा प्रभावितों को हर सहायता मुहैया करवाई जा रही है।

प्रदेश में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं से प्रभावित चल रहे जिला मंडी के करसोग, गोहर, थुनाग में एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाल लिया है। जंजैहली के लिए टीम रवाना हो गई है। आपदा से प्रभावित 357 लोगों की मदद के लिए धर्मपुर, पधर, गोहर और मंडी शहर में पांच जगह राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। अन्य प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने के लिए प्रशासन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क और संचार नेटवर्क ध्वस्त होने से राहत कार्यों में परेशानियां आ रही हैं। हिमाचल सरकार ने केंद्र को मानसून के दौरान हुए नुकसान से अवगत कराते हुए वित्तीय सहायता देने के लिए पत्र भी लिखा है।

मंडी जिले में बादल फटने की घटना में लापता लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें दिन रात जुटी हैं। सराज, गोहर और करसोग उपमंडल में 17 जगह बादल फटने से अब तक 15 लोगों की मौत और 56 लोगों के लापता होने की सूचना है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मुख्य सड़कें संपर्क मार्गों से कट गई हैं। प्रभावित क्षेत्र के लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग को डोजर, जेसीबी समेत तमाम मशीनरी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। जल शक्ति, लोक निर्माण, राजस्व विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाने को कहा गया है। लापता लोगों को ढूंढने के लिए स्थानीय लोगों और मजदूरों की मदद करने को कहा गया है। एक जुलाई की रात को बादल फटने और भूस्खलन से मची तबाही के मंजर की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। प्रशासन बगस्याड़ से थुनाग और करसोग से जंजैहली के लिए सड़क कनेक्टिविटी करने का प्रयास कर रहा है।

मंडी जिलों में जगह-जगह बादल फटे हैं। जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर डटी हैं। लापता लोगों को तलाशा जा रहा है। प्रभावित क्षेत्रों पर नजर बनाए रखे हैं।

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