राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी शुक्रवार को मंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मकान बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करवाना सबसे बड़ी चुनौती है।
राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि आपदा में जो मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें फिर से बनाने के लिए सात-सात लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। शुक्रवार को मंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। कहा कि मकान बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करवाना सबसे बड़ी चुनौती है। हिमाचल में खाली पड़ी वन भूमि वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत आती है। इसे देने का प्रावधान नहीं है। कहा कि आपदा से भूमिहीन हुए लोगों को बसाने के लिए प्रदेश सरकार वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी।
राजस्व मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 की आपदा के उपरांत प्रदेश विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था। इसमें इस नियम में छूट देने के लिए एक्ट में संशोधन का आग्रह किया गया है। अभी यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है। कहा कि प्रभावित हुए ऐसे लोग जिनकी वन भूमि पर जीवनचर्या निर्भर करती है, वे पात्रता अनुसार वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत भी भूमि ले सकते हैं। उन्होंने शुक्रवार को सराज के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। इस दौरान वह प्रभावितों से मिले और दुख-दर्द साझा किया। उन्होंने पंचायत पखरैर के देजी, थुनाग बाजार, लंबाथाच, जरोल, पांडवशिला और पंचायत धारजरोल, बायोड़, बूंगरैलचौक, शोढाधार, जंजैहली और ढीमकटारू, संगलवाड़ा का दौरा किया। राजस्व मंत्री ने लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और राज्य विद्युत बोर्ड की ओर से चलाए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी ली।
प्रभावित क्षेत्रों में फसलों को हुए नुकसान का मूल्यांकन बागवानी, कृषि व राजस्व विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से करेंगे। इसके उपरांत राजस्व मंत्री ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला निहरी सुनाह और राजकीय महाविद्यालय लंबाथाच का निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर मिल्कफेड के पूर्व अध्यक्ष चेतराम ठाकुर, एचपीएमसी के निदेशक जोगिंद्र गुलेरिया, हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के सदस्य विजय पाल, कांग्रेस नेता जगदीश रेड्डी, एसडीएम थुनाग रमेश कुमार आदि मौजूद रहे।