आठ दिनों से शेष दुनिया से अलग-थलग पड़े बन्यूड़ में पहुंची सेना, बांटी जरूरी वस्तुएं

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बहलीधार पंचायत के तहत आने वाले बन्यूड़ गांव में भी जमकर तबाही हुई है। यहां सोमवार को सेना ने पहुंच कर बचाव और राहत कार्य शुरू किया।

आठ दिनों से शेष दुनिया से अलग थलग आपदा प्रभावित गांव बन्यूड़ में सोमवार को सेना ने पहुंच कर बचाव और राहत कार्य शुरू किया। भारतीय सेना के 20 जवानों की टीम ने 20 राशन किट व अन्य जरूरी वस्तुएं प्रभावितों को वितरित कीं। इसके अतिरिक्त आईटीबीपी के 30 जवानों की एक टीम ने ग्राम पंचायत पखरेर में पहुंच कर राशन, मेडिकल किट व अन्य सामग्री बांटी। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सोमवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और उन्हें वर्तमान स्थिति से अवगत कराया।

सराज क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा को बरपे कहर को आठ दिन का समय हो चुका है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, नए आपदा प्रभावित क्षेत्र सामने आ रहे हैं। अभी भी कुछ ऐसे आपदा प्रभावित गांव हैं जिनके बारे कोई सूचना नहीं है। इन गांवों में बचाव और राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया है। बहलीधार पंचायत के तहत आने वाले बन्यूड़ गांव में भी जमकर तबाही हुई है। गांव तक पहुंचने वाले सड़क मार्ग व अन्य रास्ते आपदा में बह चुके है। जिस कारण यह गांव आठ दिनों तक शेष दुनिया से पूरी तरह कटा रहा। मोबाइल नेटवर्क बंद होने का कारण इस गांव के लोग अपनी आवाज को प्रशासन तक नहीं पहुंचा सके। रविवार को मोबाइल नेटवर्क चालू होने के बाद लोगों ने संपर्क साध मदद की गुहार लगाई तब इस गांव में बरपी आपदा का प्रशासन को पता चल पाया।


आपदा से सबसे अधिक प्रभावित सराज क्षेत्र की 241 पेयजल योजनाओं में से 132 योजनाएं अस्थायी रूप से बहाल कर दी है। 109 योजनाएं बहाल होनी शेष हैं। इन योजनाओं के प्रभावित होने से 81 पंचायतें प्रभावित हुई थीं। अब तक 15 पंचायतों में पूर्ण रूप से तथा 48 पंचायतों में आंशिक रूप से पेयजल आपूर्ति बहाल कर दी गई है, जबकि 18 पंचायतों में जलापूर्ति बहाल होना शेष है।


जिला में सांय पांच बजे तक एक राष्ट्रीय राज मार्ग समेत 170 सड़क मार्ग बाधित रहे। 155 विद्युत ट्रांसफार्मर अभी भी बहाल नहीं हो पाए है। इन ट्रांसफार्मर के दायरे में अभी भी विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई है। खास कर सराज क्षेत्र में कई गांवों में बीते आठ दिनों से लोग अंधेरे में रहने को मजबूर है। हालांकि विद्युत कर्मी युद्ध स्तर पर जुटे हुए हैं।

सराज में आई आपदा में लापता लोगों की खोजबीन के लिए एनडीआरएफ के जवान सोमवार को आठवें दिन भी डटे रहे। लापता लोगों की खोज के लिए ड्रोन की मदद भी ली जा रही है। जिस स्थान से स्वर्ण सिंह के बहने की आशंका जताई जा रही थी, उस क्षेत्र में अब सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया है। देजी खड्ड के किनारे पंडोह तक के दायरे में एनडीआरएफ के जवान तलाश में जुटे रहे।

उपायुक्त एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष अपूर्व देवगन ने सोमवार को जंजैहली में विभिन्न विभागीय अधिकारियों के साथ एक बैठक कर क्षेत्र में चलाए जा रहे राहत एवं पुनर्वास अभियान की समीक्षा की। उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अभी तक किए गए प्रयासों के लिए सभी सहयोगियों का उत्साह बढ़ाया और प्रभावितों को हरसंभव राहत पहुंचाने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने धारजोल ग्राम पंचायत के आपदा प्रभावित कुथाह और पांडवशिला गांवों में पहुंचकर लोगों को ढाढस बंधाया।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सराज क्षेत्र के आपदा प्रभावित गांवों में युद्ध स्तर पर राहत सामग्री पहुंचा रहा है। इसमें भारतीय वायु सेना का सहयोग भी मिल रहा है। सोमवार को जंजैहली क्षेत्र के लिए हेलिकॉप्टर के माध्यम से 249 तिरपाल, 170 कंबल, दूध पाउडर के पैकेट्स, बिस्किट, रेडी टू ईट खाद्य सामग्री, मसाले इत्यादि की लगभग 130 पेटियां भेजी गई हैं। 


उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि आपदा के कारण सराज घाटी में पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान हुआ है। जल शक्ति विभाग की सराज और बालीचौकी क्षेत्र की 121 करोड़ रुपये लागत की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना सहित लगभग 241 परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। सराज में विभाग को 100 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। उन्होंने कहा कि इन विपरीत परिस्थितियों में जल शक्ति विभाग के अभियंता और कर्मचारी दिन-रात सेवाएं दे रहे हैं। अब तक लगभग 140 योजनाएं आंशिक रूप से बहाल कर दी गई हैं। 

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