नीचे उफनती गिरि नदी, ऊपर पांव रखने के लिए भी रास्ता नहीं,स्कूली बच्चे और लोग जान जोखिम में डालकर आगे बढ़ रहे

पूरा हिमाचल प्रदेश आपदा के दौर से गुजर रहा है। हालांकि, बारिश का दौर थम गया है, लेकिन दुश्वारियां अभी बरकरार हैं। कई स्थानों पर सड़कें और पैदल रास्ते चलने लायक नहीं बचे हैं।  सिरमौर के रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र से ऐसी तस्वीरें सामने आईं हैं, जहां स्कूली बच्चे और लोग जान जोखिम में डालकर आगे बढ़ रहे हैं। करीब एक माह बाद क्यारी गांव के बच्चे कुड़ला खरक स्कूल गए। पहाड़ीनूमा रास्ते पर चढ़ते इन बच्चों की डराने वाली तस्वीरें कई लोगों ने कैमरे में कैद कर लीं। तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि बच्चे जान बचाते कैसे स्कूल पहुंचे। कहीं भी पैदल रास्ता नहीं दिख रहा। यहां मामूली सी चूक जान पर भारी पड़ सकती है। नीचे गिरि  नदी बह रही है और ऊपर चलने के लिए रास्ता ही नहीं। दरअसल, छछेती पंचायत का क्यारी गांव हर साल बरसात में परेशानियों से घिरा रहता है। इसके ठीक सामने नदी पार शडियार गांव भी है। यहां के छह बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। दोनों ही गांवों के 6-6 बच्चे कुड़ला खरक स्कूल में अध्ययनरत हैं, जो मौसम की मार से प्रभावित हो रहे हैं। स्कूल जाने वाली छात्रा राशि, रिभा, तमन्ना और विभा ने बताया कि वह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कुडला खरक में पढ़ते हैंउन्हें स्कूल जाने के लिए दो रास्ते हैं। गिरि नदी के किनारे जाने वाला रास्ता दो किलोमीटर है, लेकिन यह बेहद खतरनाक है। जबकि दूसरा रास्ता जंगल होते हुए छह से सात किलोमीटर लंबा है। अब वह अपने रिश्तेदारों के घर ही रुकेंगे, नहीं तो घर से स्कूल भेजने के लिए मना कर दिया है। कुड़ला खरक में क्यारी गांव के अध्यापक मदन  शर्मा ने बताया कि पहाड़ी और पत्थरों के बीच से गुजर कर वह स्कूल जा रहे हैं।  दो दिन पहले ग्रामीणों ने जो पैदल रास्ता बनाया था, वह भी टूट चुका है। पंचायत प्रधान रमेश ने बताया कि क्यारी गांव का पैदल रास्ता और एंबुलेंस योग्य सड़क टूट चुकी है। दोबारा बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।  बजट मिलने पर कार्य शुरु हो पाएगा।

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