
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उच्च न्यायालयों के कर्मचारियों को 20 फीसदी इंक्रीमेंट देने के आदेशों की अनुपालना न करने पर अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को तलब किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि अगली सुनवाई से पहले अगर आदेशों की अनुपालना नहीं की गई तो अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को रिकॉर्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय अराजपत्रित कर्मचारी संघ की ओर से अदालत में वर्ष 2018 में याचिका दायर की थी। याचिका में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की तर्ज पर हाईकोर्ट रजिस्ट्री के कर्मचारियों के वेतनमान में समानता लाने के लिए 1 जनवरी 2006 से ग्रेड पे 20 फीसदी की वृद्धि के साथ दिए जाने की मांग की थी। जिसे प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर दिया।
उसके बाद सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम गई। शीर्ष अदालत ने भी हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा। इसके बाद कर्मचारी संघ ने आदेशों की अनुपालना न करने पर एक्जीक्यूशन याचिका दायर की गई। सरकार की ओर से पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि विभाग ने मीटिंग करने के बाद यह निर्णय किया कि दो साल के भीतर चार किस्तों में कर्मचारियों को यह पैसा रिलीज किया जाएगा, लेकिन अभी तक यह हाई पे इंक्रीमेंट कर्मचारियों को नहीं दिया गया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि प्रतिवादी जानबूझकर न्यायालय की ओर से दिए गए निर्णय को लागू करने से बच रहे हैं। इस न्यायालय की ओर से गठित समिति के अनुसार, नियमों में संशोधन और चार किस्तों में बकाया भुगतान के संबंध में एक विशिष्ट निर्णय पहले ही लिया जा चुका है। उसके बावजूद राज्य सरकार का कौन सा प्राधिकारी ऐसी समिति की ओर से की गई सिफारिशों पर रोक लगा रहा है।
हाईकोर्ट ने पूछा, दोषी अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की
पीड़िता की शिकायत दर्ज न करने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। इस पर राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि क्योंकि ये सब राज्य के कर्मचारी और अधिकारी हैं, इसलिए कार्रवाई की अनुमति सरकार से लेनी पड़ती है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने बद्दी में हुए दुष्कर्म के मामले की जांच रिपोर्ट के बाद दोषी अधिकारियों पर सरकार को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने को कहा है। अदालत ने कहा कि इस मामले से संबंधित सक्षम प्राधिकारी ने जांच रिपोर्ट 15 जनवरी को अदालत में पेश कर दी है। इस पर सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। राज्य सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करने के लिए अदालत से समय मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।