मंडी आपदा: सराज के पखरैर में सड़कें और रास्ते तबाह, पांच किलो राशन भी घर तक ले जाना हुआ मुश्किल

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 मंडी जिले के सराज क्षेत्र की अति दुर्गम पंचायत पखरैर के आपदा प्रभावित गांव अभी तक सड़क और बिजली जैसी सुविधा के इंतजार में हैं।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र की अति दुर्गम पंचायत पखरैर के आपदा प्रभावित गांव अभी तक सड़क और बिजली जैसी सुविधा के इंतजार में हैं। हालांकि, पखरैर पंचायत घर तक सड़क बहाल कर दी गई है लेकिन साथ लगते सबसे ज्यादा प्रभावित गांव देजी और  अन्य गांवों तक सड़कों को बहाल करने का कार्य जारी है। लेकिन नुकसान इतना ज्यादा है कि यहां सुविधाएं बहाल करने में समय लग रहा है। वहीं बिजली की सुविधा भी न होने के कारण ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें, 30 जून की रात को पखरैर पंचायत में आपदा ने इस कदर कहर बरपाया कि लापता 11 लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया

कई मकान, गोशालाएं, खेत, बाग-बगीचे और पॉलीहाउस सैलाब में बह गए। पखरैर पंचायत के तहत आने वाले देजी गांव के प्रभावितों रितिक ठाकुर और धर्म चंद ने बताया कि आपदा के पांचवें दिन उनकी पंचायत में राहत सामग्री पहुंची थी, लेकिन सड़कों और रास्ते अभी भी पूरी तरह से टूटे हुए हैं। आलम यह है कि ग्रामीणों को पांच किलो राशन भी पीठ पर उठाकर ले जाना मुश्किल हो गया है। देजी गांव में शायद ही ऐसा कोई घर बचा हो, जिसको आपदा ने जख्म न दिए हों। पांच लोग एक ही परिवार के घर सहित बह गए हैं, जिनका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। सड़क सुविधा न होने से ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रभावितों ने प्रशासन और सरकार से उनके गांव में जल्द सड़क सुविधा बहाल करने की मांग उठाई है, ताकि बाकी राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके।

ग्राम पंचायत पखरैर की प्रधान मोनिका ठाकुर ने बताया कि उनकी पंचायत में 406 परिवार हैं और सभी आपदा प्रभावित हैं। 70 प्रतिशत सेब की फसल तबाह हो चुकी है, इतने ही पॉलीहाउस तबाह को चुके हैं। कुल नाै मकान चिलम घाट खड्ड के बहाव में बह गए। 48 क्षतिग्रस्त मकान रहने लायक नहीं बचे हैं। आपदा के 18 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी सड़क सुविधा बहाल नहीं हो पाई है। बिजली आपूर्ति भी पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। पानी की स्कीमें आंशिक रूप से ही बहाल हो सकी हैं। पंचायत अपने स्तर पर गांव के रास्तों को दुरुस्त करने में लगी हुई है, ताकि प्राथमिक स्कूल में जल्द से जल्द कक्षाएं शुरू की जा सके।

 यह क्षेत्र शिकारी देवी से महज 10 किलोमीटर दूर है और 30 जून की रात को शिकारी देवी के जंगलों में बादल फटने के बाद अति दुर्गम पखरैर पंचायत इस आपदा का पहला शिकार बनी थी। इसके बाद इस क्षेत्र का संपर्क शेष दुनिया से कट गया था। 4 जुलाई को आपदा के पांचवें दिन जोखिमपूर्ण इलाकों से कई घंटों का सफर करने के बाद एनडीआरएफ की टीम यहां पहुंच पाई थी, जिसके बाद ही यहां पर बचाव अभियान शुरू हो पाया था।

मंडी जिला के सराज क्षेत्र में आपदा प्रभावित जंजैहली तक परिवहन सेवाएं गुरुवार से बहाल हो गई हैं। प्रदेश सरकार के निर्देशों पर हिमाचल पथ परिवहन निगम की ओर से टेंपो ट्रैवलर के माध्यम से यात्रियों को यह सुविधा प्रदान की जा रही है। शुक्रवार सुबह एचआरटीसी का छोटे वाहन बगस्याड़ से जंजैहली की ओर रवाना हुए।

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