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डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के शोधकर्ताओं द्वारा हिमाचल प्रदेश में फल मक्खियों के लिए किए गए सर्वेक्षण अध्ययन के दौरान दो नई फल मक्खी (टेफ्रिटिडे) प्रजातियां पाई गईं है।
मनीष पाल सिंह के डॉक्टरेट अनुसंधान, जो विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ दिवेंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में काम कर रहे थे, के शोध कार्य के दौरान यह प्रजातियां पाई गई। यूनाइटेड किंगडम स्थित फल मक्खी वर्गीकरण विशेषज्ञ डॉ डेविड लॉरेंस हैनकॉक के लक्षण वर्णन और परामर्श के बाद, प्रजातियों को दुनिया के लिए नया घोषित किया गया। इन प्रजाति का नाम बैक्ट्रॉसेरा प्रभाकरी और टेफ्राइटिस हिमालयी रखा गया।
अन्य उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में राज्य में फल मक्खियों की अधिक विविधता मौजूद है, जैसा कि मनीष द्वारा किए गए शोध कार्य के निष्कर्षों से पता चला है। इस शोध के निष्कर्ष ‘ज़ूटाक्सा’ जर्नल के नवंबर और दिसंबर अंक में प्रकाशित हुए हैं, जो न्यूजीलैंड से प्रकाशित होता है। फ्रूट फ्लाई के नमूनों को संदर्भ रिकॉर्ड के लिए सोलन में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के उच्च क्षेत्रीय केंद्र में जमा किया गया है। इन नई प्रजातियों के अलावा डैकस फ्लेचरी और उरोफोरा टेरेब्रान भी भारत में पहली बार हिमाचल प्रदेश से रिकॉर्ड किए गए। समूह के रूप में फल मक्खियां अंतर्राष्ट्रीय महत्व और संगरोध महत्व के कीट हैं।
डॉ मनीष पाल सिंह ने अपने डॉक्टरेट शोध के दौरान, इन नई प्रजातियों का वर्णन किया है। बी. प्रभाकरी मुख्य रूप से मध्य पहाड़ियों- सोलन और शिमला जिलों के कुछ हिस्सों में यह एक औषधीय पौधे, जिसे आमतौर पर डच एग प्लांट कहा जाता है, को संक्रमित करती है। वहीं टी. हिमालयी राज्य की ऊंची और मध्य पहाड़ियों में पाई जाती है, जो सर्कियम फाल्कोनेरी नामक एक कांटेदार खरपतवार पर प्रजनन करती हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने शोधकर्ताओं को उनकी खोज पर बधाई दी। अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव कुमार चौहान, बागवानी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष शर्मा ने भी शोधकर्ताओं को उनकी इस खोज पर बधाई दी।