अब वन मंडल अधिकारी भी कटवा सकेंगे खतरनाक पेड़, नियमों में बदलाव

Now even forest division officers can cut down dangerous trees, rules changed

हिमाचल प्रदेश में नियम-133 में पेड़ कटवाने की अनुमति के बाद नियमों में कुछ बदलाव कर दिए हैं। अब वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) भी खतरनाक पेड़ को कटवा सकेंगे। इसे लेकर वन विभाग ने आदेशों को जारी कर दिया है। आदेश में स्पष्ट है कि खतरनाक पेड़ों की नियम-133 में अनुमति मिलने के बाद मामले को संबंधित डीएफओ देखेंगे। पेड़ को काटने के दौरान की गई सभी कार्रवाइयों का विस्तृत रिकॉर्ड डीएफओ रखेंगे।

इसके साथ सीएफ को प्रगति और सामने आई किसी भी समस्या के बारे में समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इन आदेशों के जारी होने पर लोगों को काफी फायदा मिलेगा। इससे पहले अनुमति मिलने के बाद लोगों को पेड़ों कटवाने के लिए वन विकास निगम के चक्कर काटने पड़ते थे। अब विभाग ने आदेशों को जारी कर लोगों को लाभ दिया है। इन आदेशों के बाद प्रदेश में ऐसे खतरनाक पेड़ जिसकी अनुमति ले ली गई है। यह पेड़ ऐसे हैं, जिससे जान और माल को नुकसान पहुंच सकता है।

निगम को हर जगह पेड़ काटने में हो रही थी मुश्किल
गौरतलब है कि बीते दिनों राज्य वन विकास निगम की ओर से वन विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया था। इस पत्र में स्पष्ट किया था कि कई जगहों पर खतरनाक पेड़ हैं। साथ ही पेड़ों का लॉट काफी कम हैं यानी एक और दो पेड़ ही शामिल हंै। कई लोगों ने इनकी नियम-133 में अनुमति ली हुई है। लेकिन क्षेत्र दूर होने के कारण कटाव संभव नहीं हो पा रहा है। लेकिन इससे काफी नुकसान हो सकता है। ऐसे में वन विभाग ने यह निर्णय लिया गया है कि इन पेड़ों को हटाने या गिराने का प्रबंधन सीधे संबंधित डीएफओ की ओर से किया जाएगा। 

 वन विकास निगम के पास कई केस लंबित 
प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रदेश में कई जगह पेड़ खतरनाक बन गए हैं। ये पेड़ घरों के साथ-साथ जान और माल को कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसे लेकर वन विकास निगम के पास लोगों ने फाइलें दी हुई हैं। कई केस अभी भी लंबित हैं। वहीं कई लोगों ने पेड़ कटवाने के लिए नियम-133 में भी अप्लाई किया हुआ है। इसमें पेड़ काटने की अनुमति भी मिली है।

ठेकेदारों की डीएफओ ले सकते हैं सेवाएं
पेड़ों को कटवाने के लिए वन मंडलाधिकारी ठेकेदारों की सेवाएं भी ले सकते हैं। वहीं इस कार्यों को प्रभावी ढंग और सुरक्षित रूप से संभालने के लिए आंतरिक संसाधनों का उपयोग भी कर सकेंगे। वहीं, यदि प्रत्यक्ष प्रबंधन संभव न हो तो वैकल्पिक तंत्रों की भी डीएफओ सहायता ले सकेंगे।

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