
हजारों किलोमीटर का सफर तय करके विदेशी परिंदे हिमाचल तथा पंजाब के जलाशयों में पहुंच चुके हैं। विभोर साहब के पंजगाटडा की सतलुज झील में साइबेरियन पक्षी इन दिनों झील के नीले पानी पर अठखेलियां करते दिखाई दे रहे हैं। अभी तक दो से तीन प्रजातियों के पक्षी ही सतलुज झील पर पहुंचे हैं। आने वाले कुछ दिनों में कई और प्रजातियों के परिंदों के भी पहुंचने की संभावना है। साइबेरिया, रूस, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पर जिलों के पानी के जम जाने के कारण ये विदेशी परिंदे भारत की झीलों का रुख करते हैं। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में स्थित झीलों का पानी जमता नहीं है, जिसके चलते इन विदेशी पक्षी को जलाशयों पर अठखेलियां करने का काफी समय मिल जाता है।
सर्दियों का सीजन शुरू होते ही प्रदेश की तमाम झीलें इन विदेशी मेहमानों से गुलजार हो जाती हैं। मार्च अप्रैल में जैसे ही गर्मी का मौसम शुरू होता है, यह विदेशी मेहमान अपने वतन लौट जाते हैं। इस प्रकार से इन विदेशी मेहमानों का भारत तथा विदेशी धरती से आवागमन का यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। विभोर की सतलुज झील पर अभी तक साइबेरियन पक्षी ही पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में कुछ अन्य विदेशी परिंदों के आने की भी संभावना है। मार्च-अप्रैल में लौटने के बाद इनका प्रजनन सीजन शुरू हो जाता है।
हिमाचल तथा पंजाब में परिंदों की विभिन्न प्रजातियों पर काम करने वाले वर्ल्ड वाचर प्रभात भट्टी के अनुसार साइबेरिया के परिंदों का हिमाचल तथा पंजाब में आना शुरू हो चुका है। फरवरी-मार्च के अंत तक पूरी तरह से हिमाचल तथा पंजाब की झीलों पर इन विदेशी परिंदों का कब्जा होगा, जो मार्च के अंत तक रहेगा। इसके बाद सभी विदेशी मेहमान अपने वतन लौट जाएंगे।