छात्रवृत्ति घोटाले में नामजद संस्थानों के संचालकों से मांगी 25 करोड़ की रिश्वत, ईडी कार्यलय पर सवाल

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हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 181 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में एक के बाद एक परत खुल रही है। हिमाचल में वर्ष 2019 में छात्रवृति घोटाले की जांच कर रहे ईडी के सहायक निदेशक ने निजी शिक्षण संस्थान के आरोपियों से रिश्वत की मांगी थी। आरोप है कि ईडी का सहायक निदेशक और अन्य दो ने निजी शिक्षण संस्थान के संचालकों को अरेस्ट करने के नाम पर 29 निजी शिक्षण संस्थानों से 25 करोड़ रुपये मांगे। निजी शिक्षण संचालकों ने इसकी शिकायत चंडीगढ़ सीबीआई कार्यालय में की। इसके बाद सीबीआई ने निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों के सहयोग से आरोपों को पकड़ने के जाल बिछाया। हालांकि, सहायक निदेशक विशाल दीप सिंह अभी सीबीआई की पकड़ से बाहर है। उसके भाई विकास दीप और बुआ के लड़के नीरज को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों जेल में है।

हिमालय ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष भूपिंद्र शर्मा, देवभूमि हिमालय ग्रुप के अध्यक्ष रजनीश बंसल, आईसीएल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट अध्यक्ष संजीव प्रभाकर, विद्या ज्योति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डीजे सिंह सहित अन्यों ने सोमवार को शिमला में संयुक्त पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि ईडी के अधिकारियों ने अरेस्ट न करने की एवज में 25 करोड़ रुपये की मांग की थी। इसके साथ ही रिश्वत देने के लिए दबाव बनाने को लेकर उन्हें ईडी कार्यालय बुलाया जाता था और 8-8 घंटे बाहर बैठाकर मानसिक तौर से प्रताड़ित किया जाता। ईडी के शिमला कार्यालय में कार्यरत रहे 3 अधिकारियों के नामों का भी खुलासा किया गया। कुछ स्टाफ कर्मियों को भी रिश्वतखोरी के आरोप में संलिप्त होने का दावा किया गया।

रजनीश बंसल ने कहा कि ईडी के सहायक निदेशक ने उन्हें गिरफ्तारी का झूठा वारंट दिखाया। एक बार तो संजीव प्रभाकर प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने जा रहा था। तब हम वकील के पास गए। उसके बाद सीबीआई के पास जाने का निर्णय लिया गया। संजीव प्रभाकर ने बताया कि डंडे मारे गए। सदमे से माता की मौत हो गई, भाई कोमा में चला गया। माता ने यहां तक कहा कि गहने बेचकर पैसे दे दो। भूपिंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि जब अधिकारियों ने सारी हदें लांघ दी तो चंडीगढ़ ईडी कार्यालय में शिकायत की गई और डीआईजी ईडी ने 5 मिनट के भीतर एक्शन लेते हुए टीम का गठन किया।

केंद्र सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों की मदद के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई, लेकिन इसमें अधिकारियों ने घोटाला किया। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले पोर्टल में कई खामियां मिलीं। निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी तरीके से विद्यार्थियों के नाम पर बैंक खाते खोले और सरकारी धनराशि हड़प ली। आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी कई आरोपियों की चल-अचल संपत्तियां अटैच की गईं। इसमें दस करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच करने के अलावा 14 बैंक खातों में जमा राशि भी इसमें शामिल है। ईडी इस मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज एक एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर रहा है।

बीते नवंबर माह से आए समन
निजी संस्थानों के संचालकों का कहना था कि छात्रवृत्ति मामले में ईडी ने 2019 से जांच शुरू की। इसके तहत बीच बीच में बुलाया गया और रिकार्ड मांगा गया। मामले देख रहे अधिकारी का तबादला हुआ। नए अधिकारी विशाल दीप के पास जांच गई तो उसने दो अन्यों के साथ मिलकर रिश्वत की मांग करना शुरु कर दिया। इसके तहत बीते नवंबर माह से समन व नोटिस भेजे जाने लगे और ईडी कार्यालय तलब कर मानसिक तौर से परेशान किया जाने लगा।

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