
प्रयागराज कुंभ में मची भगदड़ को देख गलोड़ के लहड़ा निवासी प्रीतो देवी बेहद मानसिक तनाव में आ गई थीं। उनकी टांग में भगदड़ के दौरान चोट भी लगी। अपने समूह के साथ संगम पर उमड़ी भीड़ की भगदड़ को देख प्रीतो देवी घबरा गई थी। इस घबराहट में वह 28 जनवरी को सुबह पांच बजे अपने समूह से बिछड़ गई, हालांकि 29 जनवरी को 11:00 बजे प्रीतो देवी को उसके दल ने तलाश लिया, लेकिन वह मानसिक तनाव में थी।
भगदड़ में लोगों की चीखों पुकार और शवों को देखकर प्रीतो इस हद तक तनाव में आ गई थी कि उसने अपने दल के लोगों को पहचाना तक नहीं। दल के लोग बाइक के जरिये उसे संगम से 15 किमी दूर स्थित 24 सेक्टर में स्थित अपने डेरे हरिओम सभा समिति में ला रहे थे लेकिन शंकरघाट के करीब उसने अचानक बाइक से उतर कर अपने लोगों से हाथ छुड़ा लिया।
समूह में शामिल और यात्रा के संयोजक पंडित वासुदेव ने यह आपबीती साझा की है। उन्होंने कहा कि प्रीतो देवी भगदड़ को देखकर बहुत सहम गई थी। वह तनाव में आ गई और लाखों लोगों की भीड़ में ओझल हो गई। 29 जनवरी को 11 बजे जब वह हाथ छुड़ा भीड़ में चली गई तो चिताएं बढ़ गई थी। इस बीच भगदड़ में लोगों की मौत की खबरें लगातार आ रही थी। थक हार कर उन्हें यह सूचना मिली की मृतक लोगों के शव मेडिकल कॉलेज में रखे गए है। निराश होकर समूह के लोग वहां तक पहुंच गए लेकिन छह शवों की शिनाख्त के बाद राहत मिली कि प्रीतो इनमें से एक नहीं थी। इसके बाद लगातार उसे ढूंढते रहे और सोशल मीडिया पर फोटो साझा किए गए।
स्थानीय युवाओं के दल को 11 हजार रुपये का इनाम देने का वादा कर फिर तलाश शुरू की गई। इस दौरान 30 जनवरी को 12 बजे के करीब रेलवे स्टेशन के पास प्रीतो देवी को बाइक पर सवार स्थानीय युवाओं के दल ने तलाश लिया। युवाओं ने 11 हजार की बजाए सिर्फ पेट्रोल का खर्च 2500 रुपये लिया। उन्होंने कहा कि इस बीच प्रीतो देवी के बेटे को सूचना दी गई और अब वह घर लौट गई है। भ्रमण दल सयोंजक पंडित वासु देव, पंडित नरेश कुमार, टोनी शर्मा ने स्थानीय युवाओं और प्रशासन का आभार जताया है। प्रीतो देवी को उसके पुत्र देश राज शर्मा, पूर्व प्रधान राकेश कुमार के साथ घर वापस आ रही हैं।