
कैंसर रोगियों की सराय में नंदलाल टकटकी लगाए छत की ओर देख रहे थे, पूछने पर बताया वह मंडी के गोहर के रहने वाले हैं। फेफड़े के कैंसर से पीड़ित हैं। पिछले सात महीनों से लगातार उपचार चल रहा है। घर से बार-बार आना काफी मुश्किल है। एक तरफ का किराया चार सौ रुपये है। रेडियोथैरपी दी जा रही है। इस वजह से शरीर में कमजोरी आ गई हैं। चलना-फिरना मुश्किल है, दवा की दुकान कैंसर अस्पताल से काफी दूर आईजीएमसी परिसर में है। शरीर में इतनी ताकत नहीं है कि सीढि़यों से दवा की दुकान तक खुद जा सकूं। यह समस्या अकेली मेरी ही नहीं बल्कि कैंसर से पीड़ित प्रत्येक मरीज की है। अगर दवा की दुकान यहां पर होती तो दिक्कतें झेलने को मजबूर नहीं होना पड़ता।
संवाददाता ने मौके पर जाकर पाया कि आईजीएमसी के टरशरी कैंसर केयर सेंटर की हालत काफी दयनीय है। यहां पर कीमोथैरेपी करवाने आए मरीजों को ठहरने के लिए न तो पर्याप्त सराय की सुविधा है और न ही दवाइयों की दुकान है। इस वजह से हजारों कैंसर रोगियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। असहाय स्थिति में कीमोथैरेपी करवाने आए मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में प्रदेशभर से रोगी रोजाना इलाज करवाने के लिए आते हैं। इनमें कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी करवाने वाले मरीजों की संख्या अधिक है। आलम यह है कि मरीजों को दो से तीन महीनों तक इलाज करवाना पड़ता है। जब तक मरीजों का इलाज चलता है तो उन्हें ठहरने के लिए परिसर स्थित सराय में बिस्तर लेने के लिए कसरत करनी पडती है। अगर बिस्तर नहीं मिलता है तो गुरुद्वारा और होटलों में हजारों रुपये खर्च करके रात गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ता है। मंगलवार को जब अस्पताल का दौरा किया तो मरीजों ने अपनी दास्तां बयां की।
तीन मार्च तक चलेगा उपचार
किन्नौर के खेमराज ने बताया कि उनके ससुर का इलाज तीन मार्च तक चलेगा। तब तक यहां पर रुकना पड़ेगा। कहा कि सराय में बिस्तर तो मिल गया है, लेकिन यहां पर ठंड से बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। एक हीटर लगा है, लेकिन उसमें भी ज्यादा तपश नहीं है। बुजुर्ग मरीज हैं, ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतें पेश आती है।
बेटा बेलदारी का करता है काम
सुंदरनगर की निर्मला को बच्चेदानी का कैंसर है। वह बताती हैं कि आयुष्मान योजना के तहत इलाज करवा रही हैं। परिवार की आर्थिकी इतनी अच्छी नहीं है कि बाहर से दवाएं व इंजेक्शन खरीद सकें। उन्होंने बताया कि बेटा बेलदारी का काम करता है। अब तक 8500 रुपये का सामान बाजार से खरीदा है।
आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में स्टाफ की कमी
आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में कीमोथैरेपी करवाने आए मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में स्थिति यह है कि वार्ड में केवल 16 बिस्तर मरीजों के लिए लगे हैं। वहीं 17 कुर्सियों पर मरीजों को कीमोथैरेपी दी जा रही है। मरीजों का कहना है कि अगर वार्ड को बढ़ाया जाए तो यहां पर बड़े बिस्तर लगाए जा सकते हैं जिससे बेहतर सुविधा मिल सकती है।
कैंसर अस्पताल के कीमोथैरेपी वार्ड में अभी 16 बिस्तर लगे हैं। इन पर सुबह से लेकर शाम तक मरीजों को कीमोथैरेपी की जाती है। प्रबंधन का दावा है कि औसतन 50 करीब मरीजों को यह सुविधा दी जाती है। हालांकि अगर अस्पताल में दो सेशन चलाए जाएं तो यही संख्या 80 तक पहुंच सकती है। हालांकि यह तभी संभव है जब अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती हो सके। अभी सोलह बिस्तरों के अलावा 17 कुर्सियों पर मरीजों को कीमोथैरेपी की जाती है। ये कुर्सियां सुविधाजनक नहीं हैं। इस वजह से दो से तीन घंटों तक चलने वाली कीमोथैरेपी में मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
उधर, रेडियोथैरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि अतिरिक्त स्टाफ की समस्या के बारे में प्रबंधन को अवगत करवा दिया है। अगर स्टाफ की तैनाती हो जाती है तो दो सेशन चलाए जाएंगे। इससे प्रदेशभर से इलाज करवाने आने वाले रोगियों को लाभ मिलेगा।