हिमाचल प्रदेश में आगामी वित्त वर्ष से बिजली को बेचने और खरीदने का काम ट्रेडिंग डेस्क के माध्यम से होगा। 31 मार्च 2024 तक बिजली बोर्ड, ऊर्जा निदेशालय और पावर कॉरपोरेशन पूर्व की तरह अलग-अलग ही यह काम करते रहेंगे। बिजली से आय बढ़ाने को सरकार ने एक अप्रैल 2024 से अलग-अलग एजेंसियों की जगह एक ट्रेडिंग डेस्क बनाने का फैसला लिया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। ट्रेडिंग डेस्क को स्थापित करने का जिम्मा ऊर्जा निदेशालय को सौंपा गया है। निदेशालय की ओर से इस बाबत निजी कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। प्रदेश में स्थित 95 जल विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से साल भर में 1354.57 मेगावाट बिजली को बेचा जाता है। इस बिजली को बेचकर सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपये की आय सरकार को होती है। नई व्यवस्था से सरकार को आय बढ़ने की संभावना है। ट्रेडिंग डेस्क के माध्यम से हिमाचल की बिजली को बाजार में बेचा जाएगा। वर्तमान में देश भर में बिजली की मांग के अनुरूप ही उसके दाम मिलते हैं। रोजाना बिजली की बोली लगती है, जब मांग अधिक होती है तो बिजली महंगी दरों पर बिकती है। अभी तक तीन एजेंसियां अलग-अलग यह काम करती रही हैं। इससे कई बार मौका मिलने के बाद भी बिजली सस्ती दरों पर बिक जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार ने ट्रेडिंग डेस्क बनाने का फैसला लिया है।