ऊना में लगेगा आलू प्रसंस्करण संयंत्र, अब लीची, अनार और अमरूद को भी बीमा कवर; जानें

Himachal Budget 2025 Potato processing plant to be set up in Una litchi pomegranate and guava insurance cover

ऊना जिले में आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। करीब 20 करोड़ रुपये से लगने वाले संयंत्र की प्रतिघंटा क्षमता 500 किलो आलू प्रसंस्करण की होगी। डिजिटल प्रौद्योगिकी से बागवानी का विकास होगा, इसके लिए 5 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सेब की तरह ही अब लीची, अनार और अमरूद भी मौसम आधारित फसल बीमा योजना में लाए जाएंगे। योजना में सेब के 36, आम के 56, प्लम के 29, आड़ू के 16, नींबू के 58, अनार के 21, लीची के 28 और अमरूद के 22 ब्लॉक लाए जाएंगे। योजना में 60 हजार बागवान पहले से शामिल हैं।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आलू की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार ने ऊना में आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने का फैसला लिया है। बजट में पहली बार गेहूं-मक्की के भंडारण के लिए अत्याधुनिक साइलो स्थापित करने की भी घोषणा की गई है। सीएम ने कहा कि सब्जी उत्पादन में 20 प्रतिशत हिस्सा आलू का है। संयंत्र स्थापित होने से 3400 हेक्टेयर में सालाना 54,200 मीट्रिक टन आलू पैदा करने वाले किसान लाभान्वित होंगे।

जायका प्रोजेक्ट के तहत 154 करोड़ से 100 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। सरकार कृषि उपकरणों पर अनुदान देगी, इसके लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में रखा गया है। वहीं, 1500 प्रशिक्षण शिविर, 4,000 प्रदर्शनियां, मोटे अनाज के उत्पादन के बारे में जागरूक करने के लिए 2,400 प्रदर्शनियां लगाने, जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की गई है। कृषि विभाग के सभी सरकारी फार्म प्राकृतिक खेती के अधीन लाए जाएंगे। 20 फीसदी हिस्से पर हल्दी, अदरक, अरबी, कटहल, रतालू की खेती होगी।

कृषि ऋण चुकाने को वन टाइम सेटलमेंट नीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे किसान जिनकी जमीन नीलामी के कगार पर है, उनके द्वारा लिए गए तीन लाख तक के कृषि ऋण को चुकाने के लिए सरकार वन टाइम सेटलमेंट पाॅलिसी लाएगी। एग्रीकल्चर लोन इंटरेस्ट सब्वेशन स्कीम के तहत मूलधन पर लगने वाले ब्याज का 50 फीसदी सरकार वहन करेगी। कृषि संवर्धन योजना और मुख्यमंत्री कृषि उत्पादन संरक्षण योजना को एकीकृत कर योजना के लिए 35 करोड़ का प्रावधान किया गया है। आठ आलू उत्पादन केंद्रों पर खरीफ सीजन से आलू बीज उत्पादन शुरू होगा। हमीरपुर में स्पाई पार्क बनेगा, जहां प्रदेश में पैदा होने वाले मसालों की वैल्यू एडिशन होगी। बागवानी उत्पादों के विपणन और प्रसंस्करण में सहयोग के लिए किसान उद्यम नवाचार केंद्र स्थापित किया जाएगा। वहीं, 114 लिफ्ट सिंचाई योजनाएं स्थापित होंगी। एचपी शिवा योजना में 100 करोड़ खर्च होंगे। 4 हजार हेक्टेयर में 257 क्लस्टरों के लिए टोपोग्राफिक सर्वे होगा। 

मक्की का 10 और गेहूं का 20 रुपये बढ़ा समर्थन मूल्य 
मुख्यमंत्री ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्राकृतिक खेती पद्धति से उगाई मक्की के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 से 40, गेहूं का 40 से 60 करने की घोषणा की है। यदि कोई किसान खरीद केंद्र तक उत्पाद खुद लेकर आता है तो उसे सरकार 2 रुपये प्रतिकिलो भाड़ा अनुदान भी देगी। बेहतर विपणन सुविधा के लिए मंडियों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक कच्ची हल्दी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 90 रुपये किलो करने की घोषणा की। एक लाख नए किसान प्राकृतिक खेती और हिम परिवार रजिस्टर से जुड़ेंगे।

पौधरोपण से जोड़े जाएंगे महिला और युवक मंडल 
ग्रीन हिमाचल का सपना साकार करने के लिए वर्ष 2025-26 में पांच हजार हेक्टेयर पर वृक्षारोपण होगा। वनों में जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे ताकि बंदर और अन्य जीवों को आबादी में आने से रोका जा सके। राजीव गांधी वन संवर्धन योजना के तहत युवक मंडलों, महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों को बंजर भूमि पर फलदार एवं अन्य उपयोगी पौधों के वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इन्हें एक से 5 हेक्टेयर पौधरोपण और प्रबंधन के लिए दिए जाएंगे। 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पहले वर्ष में इन समूहों को 2 लाख 40 हजार रुपये फलदार और अन्य पाैधे लगाने के लिए दिए जाएंगे। इसके बाद भी पांच साल तक जीवित प्रतिशतता 50 प्रतिशत या अधिक होने पर दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें वर्ष तक सालाना एक लाख रुपये दिए जाएंगे। कुल 6 लाख 40 हजार की राशि प्रत्येक समूह को मिल सकेगी। वन क्षेत्रों को जियो टैग किया जाएगा। योजना पर 100 करोड़ व्यय किए जाएंगे। वहीं कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी योजना के तहत बंजर भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। विश्व बैंक और जीका की सहायता से चल रही तीन परियोजनाओं के तहत अगले वर्ष के दौरान लगभग 200 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।

लैंटाना, चीड़ की सूखी सुइयों और कृषि-अवशेषों से जंगल की आग, जैव विविधता की हानि, जल संकट, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर इन्हें बायोचर, बायो-एनर्जी, बायो-फर्टिलाइजर्स, बायो-पेस्टिसाइड, ग्रीन एनर्जी और कार्बन-क्रेडिट में परिवर्तन किया जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। सरकार ने इको-टूरिज्म नीति में संशोधन किया है। प्रदेश में 78 नई इको-टूरिज्म साइटें आवंटित की जाएंगी। अगले 5 सालों में इको-टूरिज्म से 200 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। पिछले दो सालों में 208 मामलों में एफसीए मंजूरी दी गई हैं। फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत 560 मामलों को स्वीकृति दी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *