पंचायतों ने बिना मंजूरी कौड़ियों के भाव किराये पर दे दीं लाखों की संपत्तियां, जानें मामला

properties of Panchayats have been given on lease at throwaway prices In Himachal

हिमाचल में पंचायतों की संपत्तियां कौड़ियों के भाव लीज पर किराये पर दे दी गईं हैं। इसकी न बोली लगाई और न विभाग या प्रशासन से मंजूरी ली। शिकायतें मिलने पर प्रदेश सरकार ने जिला उपायुक्तों को तीन माह में सभी 3,615 पंचायतों में किराये पर दी गईं संपत्तियां जांचने के आदेश दिए हैं। इससे अब जांच की आंच पंचायत प्रधानों तक पहुंच गई है। पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 112 का उल्लंघन कर व्यावसायिक परिसर, भवन और अन्य संपत्तियां किराये पर दी गई हैं। पारदर्शिता न बरतने से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।

सरकार ने उपायुक्तों को पिछले पांच वर्षों में किराये पर दी संपत्तियों की समीक्षा कर नियमों के खिलाफ दी लीज रद्द करने और दोबारा नीलामी करने के निर्देश दिए हैं। लीज अवधि 5 वर्ष तय करने को कहा है। सरकार ने पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर निगरानी समितियों के गठन के निर्देश दिए हैं। पंचायत स्तरीय समिति में बीडीओ अध्यक्ष, पंचायत सचिव सदस्य और पंचायत प्रधान व पंचायत निरीक्षक सदस्य होंगे। ब्लॉक स्तरीय समिति में एसडीएम अध्यक्ष, पंचायत निरीक्षक सदस्य सचिव और पंचायत समिति के सीईओ और पंचायत समिति सदस्य इसके सदस्य होंगे। जिला स्तरीय समिति में डीसी अध्यक्ष, जिला पंचायत अधिकारी सदस्य सचिव, जिला परिषद सदस्य और कार्यकारी अभियंता ग्रामीण विकास और पंचायती राज इसके सदस्य होंगे। निगरानी समितियों का दायित्व है कि किराया पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्धारित बाजार दरों पर ही तय हो। इससे पहले समाचार पत्रों में इसे विज्ञापित करना होगा।

कुछ पंचायतों में संपत्तियां किराये पर देने में अनियमितता बरती है। भविष्य में नियमों की अवहेलना न हो, इसके लिए जांच होगी और निगरानी समितियां भी गठित होंगी। – राजेश शर्मा, सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग

अभी इन पंचायतों में सामने आए हैं मामले
कांगड़ा की रैत पंचायत में 8 दुकानें अधिकतम 50 रुपये किराये पर दी गईं हैं। सरकारी विभागों को निशुल्क संपत्ति दी गई। रजोल में 4 दुकानें अधिकतम 200 रुपये किराये पर दी हैं। शिमला में विकास खंड टुटू (हीरानगर) की चायली पंचायत में 20 दुकानें न्यूनतम 400 और अधिकतम 900 रुपये मासिक किराये पर दी हैं।

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