
पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को राजनीतिक हाशिए पर धकेला। वह भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित डॉ. भीमराव आंबेडकर सम्मान अभियान के तहत बिहार के भोजपुर व बंगाल के कोलकाता में जनसभाओं को संबोधित कर रहे थे।
अनुराग ने कहा कि आंबेडकर मां भारती के सच्चे सपूत थे। उन्होंने कुप्रथाओं के अंत के साथ समरस समाज की स्थापना पर बल दिया। वंचित, पीड़ित, शोषित, गरीब, आदिवासी, महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए बाबा साहेब प्रयास करते रहे। प्रधानमंत्री मोदी बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रयासरत हैं। कांग्रेस बाबा साहेब को अपमानित करने का काम कर रही है। बाबा साहेब को बंगाल से संविधान सभा जाने से रोकने के लिए कांग्रेस ने हथकंडे अपनाए और उनके चुनाव क्षेत्र को पाकिस्तान को दे दिया।
अनुराग ने कहा कि आंबेडकर को दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के कारण हार का सामना करना पड़ा। दोनों चुनाव में जवाहर लाल नेहरू ने आंबेडकर के खिलाफ चुनाव प्रचार किया। 1952 के आम चुनावों में बॉम्बे नॉर्थ सेंट्रल से चुनाव लड़ा, कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए नारायण कजरोलकर को उम्मीदवार बनाया। आंबेडकर 15,000 वोटों से हार गए। आंबेडकर ने नतीजों पर सवाल उठाए। 1954 में बाबा साहेब ने दूसरा चुनाव महाराष्ट्र के भंडारा से लड़ा।
अनुराग ने कहा कि इस बार कांग्रेस उम्मीदवार से करीब 8,500 वोटों से हार गए। 1951 में नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते हुए बाबा साहेब ने कहा था कि नेहरू ने उन्हें आर्थिक नीतियों और कैबिनेट संस्थानों से दूर रखने का प्रयास किया। कांग्रेस ने बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण के बाद दिल्ली में उनकी अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी, उनकी पार्थिव देह को मुंबई ले जाने के लिए राजकीय विमान भी नहीं दिया और उनके दिल्ली आवास को स्मारक घोषित करने से भी इन्कार कर दिया। 2018 में मोदी सरकार ने इसे श्रद्धांजलि स्थल के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया।
उन्होंने कहा कि आंबेडकर की धरोहरों को सहेजने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया है। 1989 में जब सरकार बनी तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने पहल कर संसद के केंद्रीय कक्ष में बाबा साहेब का चित्र शामिल कराया। उनके जन्म स्थान महू में बाबा साहेब का राष्ट्रीय स्मारक बनवाया। आंबेडकर की जन्मस्थली, शिक्षास्थली, दीक्षा स्थली और उनसे जुड़े सभी स्थलों का पंच तीर्थ के रूप में विकास किया है।