शिमला-धर्मशाला हाईवे की एक लेन तीन दिन से बाधित, राजनकांत ने लगाए हैं पत्थर-झाड़ियां

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One lane of Shimla-Dharamshala highway has been blocked for three days, Rajan Kant has planted stones and bush

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर उपमंडल सदर के मंगरोट में शिमला-धर्मशाला हाईवे की एक लेन तीन दिन से बाधित है। करीब 100 मीटर तक एक लेन के बाधित होने से वाहन चालक परेशान हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हाईवे की एक लेन पर स्थानीय निवासी राजनकांत ने शुक्रवार को पत्थर और झाड़ियां लगा दी थीं। उसके बाद से ही हाईवे की एक लेन लगातार बंद है। इन तीन दिनों को प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। हालांकि शुक्रवार को कुछ पुलिस कर्मी पहुंचे थे।

उन्होंने शाम को पत्थर और झाडिय़ों को हटाया भी था, लेकिन शनिवार सुबह राजनकांत ने फिर से झाड़ियां और पत्थर हाईवे की एक लेन पर लगा दिए। एक लेन बाधित होने से कई बार जाम की स्थिति बन रही है। कई बार वाहन एक ही लेन पर आमने-सामने हो जाते हैं, जिससे चालकों को परेशानी उठानी पड़ती है। कुल मिलाकर मंगरोट विवाद अब लोगों के लिए परेशानी बन गया है। उधर, पुलिस विभाग का भी कहना है कि यह मामला राजस्व संबंधी है। निशानदेही में हाईवे की भूमि राजनकांत की मां की निकली है। बता दें कि जनवरी में प्रशासन की ओर से कराई गई निशानदेही में धर्मशाला-शिमला हाईवे 17 बिस्वा निजी भूमि में पाया गया है। यह निजी भूमि हाईवे को बाधित करने वाले राजनकांत की मां के नाम पर है।

मंगरोट हाईवे विवाद करीब तीन साल से अधिक समय से चल रहा है। दिसंबर 2022 में उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगरोट में हाईवे के किनारे से राजनकांत शर्मा के खोखे को हटाया गया था। राजनकांत शर्मा ने तब हाईवे की आठ बिस्वा भूमि पर अपना दावा किया। इसके बाद राजनकांत ने कभी हाईवे पर चूल्हा रख कर चाय बनाई तो कभी खटिया लगाकर हाईवे को बाधित किया। मामले में कोई परिणाम नहीं निकलने पर राजनकांत ने मार्च 2023 में हाईवे पर खोखा लगा दिया था। इसके बाद निशानदेही की गई, जिसमें हाईवे आठ बिस्वा भूमि निजी पाई गई। इस निशानदेही के विरोध में लोक निर्माण विभाग ने तहसीलदार कोर्ट में अपील दायर की। कोर्ट के आदेश पर इस साल जनवरी में फिर निशानदेही की गई। निशानदेही में पाया गया कि लोक निर्माण विभाग ने हाईवे को राजनकांत की मां के नाम पर 17 बिस्वा भूमि से होकर निकाला है। राजनकांत प्रशासन ने अपनी भूमि को वापस देने की मांग कर रहा है।

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