
सुरेश ठियोग में एक कैंटीन चलाते हैं। घटना के समय सुरेश की माता और उसकी पत्नी उर्मी देवी घर पर थीं। टैंक की ऊपर वाली जगह खुली होने के कारण रिहान टैंक में गिर गया। रिहान के गिरने के आवाज सुनकर रिहान की मां और दादी मौके पर पहुंचे। उनके शोर मचाने से आसपास घरों की महिलाएं इकट्ठा हुई। इस दौरान किसी घर में कोई पुरुष नहीं था। महिलाएं साथ लगते रास्ते पर मदद की गुहार लगाने लगीं। स्थानीय ग्रामीण मोहन लाल किसी काम से अपने घर से बाहर जा रहे थे। उन्होंने शोर सुना तो तुरंत मौके पर पहुंचे और देखा कि एक छोटा बच्चा पानी से आधे भरे टैंक में गिर गया है।
उन्होंने बिना कुछ सोचे टैंक में छलांग लगा दी। करीब 12 फीट गहरे टैंक में छलांग लगाकर उन्होंने बच्चे को कंधे पर उठाकर किसी तरह बाहर निकाला। बच्चा बेहोशी की हालत में था। उन्होंने बच्चे का पेट दबाते हुए बच्चे को उलट-पलट करते हुए होश में लाने की कोशिश की। कुछ देर बाद उनकी यह कोशिश रंग लाई और बच्चे के पेट में भरा पानी उल्टी के जरिये बाहर निकल आया। स्थानीय ग्रामीणों ने बच्चे को सिविल अस्पताल ठियोग पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई। स्थानीय लोगों ने पंचायत से टैंक की फेंसिंग करने और इस पर छत लगाने की मांग उठाई है। पंचायत प्रधान मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि बच्चे की जान बचाने वाले मोहन लाल ने बहादुरी का काम किया है।