राजधानी के ढली और मल्याणा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से छोड़े जाने वाले पानी से अब अश्वनी खड्ड दूषित नहीं होगी।
दोनों प्लांट पर आधुनिक तकनीक से सीवेज ट्रीटमेंट का काम शुरू हो गया है। कंपनी के अनुसार एसबीआर यानि सिक्वेंसिंग बैच रिएक्टर तकनीक से सीवेज ट्रीट किया जाएगा। 5.2 एमएलडी की क्षमता वाले मल्याणा प्लांट पर 15 करोड़ रुपये से इस तकनीक को लगाया है। दो माह टेस्टिंग के बाद अब इसे पूरी क्षमता पर चला दिया है। इस तकनीक की खासियत यह है कि ट्रीटमेंट के दौरान यह कार्बन के साथ नाइट्रोजन को भी अलग कर देती है। साथ ही इसकी आनलाइन मॉनिटरिंग भी हो सकेगी। मल्याणा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से छोड़े जाने वाले गंदे पानी से अश्वनी खड्ड दूषित हो रही थी। इसका पानी शिमला शहर के लिए भी सप्लाई होता था। साल 2014-15 में पानी दूषित होने से शिमला शहर में भारी पीलिया फैला था। इसमें 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद अश्वनी पेयजल परियोजना बंद कर दी थी। पेयजल कंपनी के एजीएम संजय कौशल ने कहा कि दोनों प्लांट पर नई तकनीक से अब ट्रीटमेंट शुरू कर दिया है।अश्वनी खड्ड से शिमला के लिए तो अब पानी की आपूर्ति बंद है लेकिन सोलन समेत निचले इलाकों में इसका पानी इस्तेमाल हो रहा है। अब इसमें ढली और मल्याणा से गंदा पानी नहीं मिलेगा। 1.5 एमएलडी की क्षमता वाले ढली एसटीपी को भी अपग्रेड कर दिया है। पेयजल कंपनी के अनुसार लालपानी एसटीपी को भी इसी तकनीक पर अपग्रेड किया जा रहा है। अगले दो माह में इसका काम भी पूरा हो जाएगा। ढली और मल्याणा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कर दिया है। इनसे अब दूषित पानी अश्वनी खड्ड में नहीं बहेगा। लालपानी प्लांट का काम भी जल्द पूरा होगा।