कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक पर बर्फबारी के दिनों में पेड़ ढहने से रेल सेवाएं बाध्य नहीं होंगी। रेलवे विभाग ने कालका से शिमला के बीच ट्रैक के लिए खतरा बने 150 पेड़ों को काट दिया है। इनमें अधिकांश पेड़ सोलन से शिमला के बीच काटे गए हैं। बर्फबारी और बारिश से ट्रैक के बचाव के लिए रेलवे ने पेड़ चिन्हित किए थे। इनमें ज्यादातर पेड़ ट्रैक की ओर झुके हुए थे। सर्दियों में हैरिटेज ट्रैक पर बर्फबारी और बारिश होने से शिमला से सोलन के बीच पेड़ ढहते हैं। इससे कई दिनों तक रेल सेवा बंद हो जाती है। बर्फबारी का आनंद लेने के लिए हजारों की संख्या में सैलानी शिमला का रुख करते हैं। इस दौरान रेलमार्ग से टॉय ट्रेन में शिमला आना ही सैलानियों के लिए आवाजाही का साधन होता है। अब पेड़ कटान होने से बर्फबारी में रेल सेवाएं बंद नहीं होंगी। बर्फबारी से शहर में बसें बंद होने से लोग ट्रेन में करते हैं आवाजाही
सर्दियों में भारी बर्फबारी और बारिश होने से शिमला शहर में दो से तीन दिन तक यातायात बंद हो जाता है। इस दौरान बसों की आवाजाही भी बंद होने से लोगों के लिए ट्रेन ही आवाजाही का साधन रहता है। टुटू, जतोग, तारादेवी, शोघी से आने वाले लोग टॉय ट्रेन में शिमला पहुंचते हैं। दो महीने में दुरुस्त होगा शिमला स्टेशन में बना इंजन शेड
शिमला स्टेशन में बने इंजन शेड की मरम्मत जल्द ही शुरू होगी। रेलवे ने इंजन शेड को दुरुस्त करने के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है और ठेकेदार को इसका जिम्मा सौंप दिया है। 25 लाख रुपये की लागत से इंजन शेड को दो महीने में दुरुस्त किया जाएगा। शेड का आकार पहले जैसा ही रहेगा। वहीं इसमें पुराने लोहे का इस्तेमाल भी किया जाएगा। आपदा के चलते 23 अगस्त को यह शेड बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ था। इस शेड में चार इंजन शेड की मरम्मत कार्य करने की क्षमता है। इसके अलावा स्ट्रीम इंजन भी खड़ा होता है। शेड ढहने से एक समय में दो ही इंजन की मरम्मत इस शेड में हो रही है। अन्य इंजन रेल लाइनों पर खड़े किए जा रहे हैं। इससे इंजन का मरम्मत कार्य भी प्रभावित हो रहा है।