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ग्रांफू-काजा हाईवे-505 के समदो तक डबललेन बनने से भारतीय सेना चीन बॉर्डर पर स्थित समदो तक महज चार घंटे में पहुंच सकेगी। अभी 211 किमी के सफर को तय करने में सात घंटे लगते हैं।
चीन की सीमा तक सेना की पहुंच आसान हो, इसको लेकर केंद्र सरकार भी गंभीर है। इसी को देखते हुए सामरिक ग्रांफू-काजा-समदो सड़क की न केवल हालत सुधारी जा रही है, बल्कि इसे डबललेन भी बनाया जा रहा है। ग्रांफू-काजा हाईवे-505 के समदो तक डबललेन बनने से भारतीय सेना चीन बॉर्डर पर स्थित समदो तक महज चार घंटे में पहुंच सकेगी। अभी 211 किमी के सफर को तय करने में सात घंटे लगते हैं। करीब 1,400 करोड़ रुपये की लागत से डबललेन बनने वाली 203 किमी ग्रांफू-काजा-समदो सड़क का काम चार चरणों में होगा। इसमें बातल से लोसर और लोसर से काजा के बीच दो चरणों का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन ने शुरू कर दिया है। इसकी दूरी करीब 90 किलोमीटर है।
मनाली और अटल टनल रोहतांग की तरफ से ग्रांफू से बातल तक करीब 50 किमी सड़क को डबललेन बनाने का काम जून में शुरू होगा। इस पर 210 करोड़ रुपये खर्च होंगे। काजा से समदो के बीच भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है। उम्मीद है कि चौथे चरण का निर्माण भी जल्द आरंभ होगा। ग्रांफू-काजा-समदो मार्ग की कुल लंबाई 211 किमी है और डबललेन बनने से दूरी आठ किमी कम होगी। बताया जा रहा है कि तीन जगह पर सड़क को बाईपास बनाया जा रहा है और इस कारण दूरी घटेगी।
सीमा सड़क संगठन के सहायक अभियंता बीडी धीमान ने कहा कि ग्रांफू से बातल तक सड़क को डबललेन बनने का टेंडर हो गया और इसके निर्माण पर 210 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बर्फ हटने के बाद जून में काम शुरू किया जाएगा। वहीं, बीआरओ 108 आरसीसी के सहायक अभियंता राजेंद्र नेगी ने बताया कि उनकी तरफ से सड़क को डबललेन करने का काम दो चरणों में चल रहा है। काजा से समदो तक भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है।
ग्रांफू-काजा-समदो-505 सामरिक मार्ग को डबललेन करने पर 1,400 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 2026 तक काम पूरा हो जाएगा। इसे भारतीय सेना के साथ पर्यटन को भी पंख लगेंगे।