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देश के मेडिकल कॉलेज समेत अन्य जिला अस्पतालों में निजी क्रस्ना लैब के कर्मचारियों ने मरीजों के सैंपल लेने का काम बंद कर दिया है। दूसरे दिन गुरुवार को भी क्रस्ना लैब में टेस्ट सैंपल नहीं लिए गए।
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज समेत अन्य जिला अस्पतालों में निजी क्रस्ना लैब के कर्मचारियों ने मरीजों के सैंपल लेने का काम बंद कर दिया है। दूसरे दिन गुरुवार को भी क्रस्ना लैब में टेस्ट सैंपल नहीं लिए गए। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। प्रदेश में एनएचएम की ओर से लंबित राशि जारी नहीं किए जाने पर कंपनी ने काम करना बंद किया है। कंपनी का दावा है कि 54 करोड़ रुपये की राशि ली जानी है। एक्सरे और टेस्ट की जांच का काम बंद किए जाने से अस्पतालों की प्रयोगशाला में सैंपल के ढेर लग गए हैं। कंपनी ने चेतावनी दी है कि जब तक पैसा जारी नहीं किया जाता है, काम बंद रहेगा। क्रस्ना लैब के अधिकारी इसको लेकर आज मुख्यमंत्री सुक्खू से मुलाकात करेंगे।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी), टांडा, हमीरपुर, नाहन, चंबा, नेरचौक, केएनएच और डीडीयू अस्पताल सहित जिला अस्पतालों में बुधवार सुबह निजी क्रस्ना लैब ने मरीजों के सैंपल लेने से अचानक मना कर दिया। कई मरीजों को महंगी दरों पर निजी लैब में जाकर टेस्ट करवाने पड़े। ओपीडी के रूटीन में सैंपल देने आए अधिकांश मरीजों को रिपोर्ट लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा है। इस वजह से मरीजों का इलाज देरी हुई। आईजीएमसी में सुबह 7:00 के लैब के बाहर मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह 10:00 बजे जब प्रबधंन को इसकी भनक लगी तो आइजीएमसी प्रबंधन ने अधिकारियों की आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में निर्णय लिया गया कि ओपीडी, वार्ड व इमरजेंसी में आने वाले सभी मरीजो के टेस्ट सरकारी लैब में किए जाए। जिसके बाद मरीजो की भीड़ सरकारी लैब की ओर डायवर्ट की गई।
क्रस्ना लैब के लेखा अधिकारी सौरव कुमार ने बताया कि पैसा जारी करने के लिए एनएचएम निदेशक, सचिव स्वास्थ्य को रिमाइंडर भेजे गए। लेकिन पैसा जारी नहीं किया गया है। एनएचएम से 54 करोड़ रुपये लिए जाने हैं। निजी क्रस्ना लैब का काफी समय से पेमेंट को लेकर मामला चल रहा है। करोड़ों की पेमेंट न होने के चलते ये फैसला लिया गया है।
कुल्लू में भी सेवाएं बंद
क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में स्थापित क्रस्ना लैब में दूसरे दिन भी सेवाएं बंद रहीं। लैब में टेस्ट नहीं होने से सैकड़ों मरीजों की परेशानी बढ़ी है। मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए पहले बिल काउंटर और उसके बाद सरकारी लैब में लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ रहा है। इसके बाद भी टेस्ट के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। अस्पताल की सरकारी लैब में महज सुबह 11:30 बजे तक ही टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाते हैं, जिसके कारण मरीजों को मजबूरन शहर की निजी अस्पतालों और लैबों की ओर रुख करना पड़ रहा है। इससे दर्द की परेशानी के साथ उन्हें टेस्ट का भारी भरकम शुल्क भी अदा करना पड़ रहा है, जबकि क्रस्ना लैब में 232 टेस्ट की निशुल्क सुविधा है।