आपदा ने बदल दिया जंजैहली के कई गांवों का नक्शा, मिट्टी हो गए मकान; अब भटक रहे लोग

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जिला मंडी में थुनाग की तरह ही जंजैहली में भी आपदा ने तबाही मचाई है। जंजैहली के कुछ इलाकों का पूरा नक्शा ही बदल गया है। वहीं, सुरक्षित ठिकाने की तलाश में ग्रामीण इधर-उधर भटक रहे हैं।

सराज घाटी के जंजैहली और थुनाग में प्रकृति ने कहर बरपाया है। हालात यह हैं कि हर तरफ मलबे और ढहे मकान ही दिख रहे हैं। गांव के गांव मलबे के ढेर में बदल गए हैं। सेब एवं मटर के लिए प्रसिद्ध सराज घाटी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि भी तबाह हो गई है। थुनाग की तरह ही जंजैहली में भी आपदा ने तबाही मचाई है।

जंजैहली के कुछ इलाकों का पूरा नक्शा ही बदल गया है। जंजैहली के बूंगरैल चौक निवासी पूर्ण चंद, सूरत राम, धर्मेंद्र, प्रकाश, दीप कुमार, कमला, यशपाल, चमन लाल, ओम चंद, तारा चंद, लछमन, राम लाल, नंद लाल और उत्तम सिंह के घर उनकी आंखों के सामने मलबे में तब्दील हो गए। ग्रामीणों ने बताया कि जलस्तर बढ़ने की आशंका से लोग किसी तरह घरों से निकल पाए, वरना अनहोनी तय थी। अब गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। लोग अपने घरों के निशान ढूंढ रहे हैं। सुरक्षित ठिकाने की तलाश में ग्रामीण इधर-उधर भटक रहे हैं। डर का आलम यह है कि हर पल मौत का साया मंडरा रहा है। मटर वैली चिऊणी पंचायत में भी हालात बदतर हैं। हरीराम का मकान बाढ़ में बह गया, जबकि छह अन्य घर क्षतिग्रस्त हुए।

मजडवार गांव में मोहर सिंह के मकान के सामने की जमीन पूरी तरह बह गई। पंचायत प्रधान इंद्र सिंह के अनुसार क्षेत्र की 80 फीसदी उपजाऊ जमीन भूस्खलन में नष्ट हो चुकी है। आठ-नौ परिवार अपने असुरक्षित घरों को छोड़कर रिश्तेदारों के पास शरण लेने को मजबूर हैं। उधर, डेजी गांव में भी यही हालात हैं। घरों के बहने के साथ करीब 11 लोग लापता भी हैं। यहां शुक्रवार मदद पहुंची तो ग्रामीण भावुक हो गए। वह अपनों की तलाश में खुद ही जुटे हुए हैं।

थुनाग और आसपास दिनभर ग्रामीण लापता अपनों की तलाश कर रहे हैं। जबकि शाम को राहत शिविर में डेरा जमा रहे हैं। यहां रहते हुए भी प्रभावित रात को सही तरीके से सो नहीं पा रहे हैं। हर वक्त पानी के जलजले का खतरा सता रहा है। एक बार फिर मंडी जिले में भारी से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इससे आपदा प्रभावितों व अन्य लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

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