#मां आपके लिए बड़ा भाई है न, कहकर अयोध्या रवाना हो गए सुजानपुर के कार सेवक सुरुचि..

Memoir: Suruchi left for Ayodhya saying that mother is an elder brother to you.

सुरुचि 4 दिसंबर को बस स्टैंड हमीरपुर से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। उनके साथ चमनेड़ निवासी चिरंजी लाल व सोहन लाल भी मौजूद थे। 

मां जब तक अयोध्या से न लौट आऊं खाने में हींग मत डालना। यह सुनकर 18 साल के सुरुचि शर्मा  की मां रजनीश प्रभा शर्मा की आंखों में आंसू आ गए। 4  दिसंबर 1992 को सुजानपुर टिहरा निवासी कार सेवक सुरुचि का मां से यह संवाद भावुक कर देने वाला था। 1990 में कारसेवकों पर गोलियां चलने से सहमे परिवार को डर था कि बेटा लौटेगा या नहीं। नम आंखों से पिता रोशन लाल शर्मा व माता रजनीश प्रभा शर्मा ने बेटे को विदाई दी। शिक्षक दंपती की तमाम टाल-मटोल के बीच सुरुचि यह कहकर अयोध्या के लिए रवाना    हो गया कि मां आपके लिए बड़ा भाई है न।  सुरुचि 4 दिसंबर को बस स्टैंड हमीरपुर से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। उनके साथ चमनेड़ निवासी चिरंजी लाल व सोहन लाल भी मौजूद थे।

5 दिसंबर की शाम को वह अयोध्या पहुंचे थे, जहां हजारों कार सेवकों की भीड़ थी। कोर्ट से स्टे का आदेश मिलने की सूचना के बाद मंचासीन नेताओं के आदेशों को दरकिनार कर भीड़ ने विवादित ढांचा तोड़ना शुरू कर दिया था। सुरुचि कहते हैं कि उन्होंने लोह के औजार से ढांचा गिराना शुरू किया। इस बीच जब बैरिगेड तोड़े तो सुरक्षा बलों ने उन पर लाठियां चलाईं, लेकिन उत्साह इतना था कि लाठियों का अहसास तक नहीं हुआ। घंटों बाद जब ढांचा ढहाया जा चुका था तो जख्मों पर गौर किया। इसके बाद टेंट में गए और सरयू नदी में स्नान के बाद फिर घर लौटे। जब वह लौटकर आए तो घर में हलवा बनाया गया और चार दिनों बाद फिर घर की रसोई में हींग का इस्तेमाल भी शुरू हुआ। वर्तमान में सुरुचि विहिप के विशेष संपर्क प्रमुख सोलन विभाग हैं। संवाद

2001 में दो रातें जेल में काटीं 
सुरुचि लगातार विहिप के साथ जुड़कर कार्य करते रहे। साल 2001 में फिर संगठन के आंदोलन के लिए अयोध्या रवाना हुए, लेकिन उन्हें लखनऊ जेल में बंद कर दिया। जेल से बाहर निकलने बाद टेंट में श्रीराम के दर्शन किए। हमीरपुर के चिरंजी लाल और ओम प्रकाश शर्मा भी उनके साथ मौजूद रहे। घर पहुंचकर राम नाम के 2.50 करोड़जाप करवाए। उन्होंने कहा कि उस दौरान अमृत जल कलश यात्रा विश्व हिंदू परिषद ने पूरे देश में निकाली। हिमाचल में संतों ने कलश बांटे। अमृत जल कलश सुरुचि के घर में आज भी मौजूद है।

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