भाजपा, प्रदेश प्रवक्ता विवेक शर्मा ने कहा, पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के 117 मदरसो में अब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम व रामायण को पढ़ाया जाएगा। इसका असर अब हिमाचल कांग्रेस के मदरसे में भी दिखने लगा है। आजकल कांग्रेसी श्री राम, जय श्री राम, राम सबके हैं, हम राम राज्य बनाएंगे कहती पाई जा रही है।
लेकिन यह नहीं बता रहे की 6 दिसंबर 1992 को भारतवर्ष में 2000 हिन्दूओं की निर्मम हत्या का हिसाब कौन देगा।
रामायण वह उससे जुड़े तथ्यों को नकारने वाली कांग्रेस राम के अस्तित्व व रामसेतु को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस, जिसने न्यायालय में हलफनामा दिया था, आज राम भक्त हो गई है। आज वेटिगन सिटी के अनुयाई, अयोध्या के सिपाही होने का दावा कर रहे हैं। जिनकी आस्था व आराध्य जॉर्डन में बैहती नदी थी वह आज सरियू का किनारा ढूंढ रहे हैं। जो 1947 से राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए समाज को विभाजित करते आ रहे हैं किसी को रिफ्यूजी तो किसी को मुहाजिर बनाते रहे, उन्हें विभाजन के समय 10 लाख मौतों का हिसाब देना होगा 8 लाख 50000 परिवार सरहद पार से उजड़ कर आए उन्हें कारण बताना होगा।
अक्टूबर 1984 में दिन में अंधेरा करने वाली कांग्रेस को हमारे सिख भाइयों की 20000 पगड़ियों का हिसाब देना होगा। अपने ही भाइयों को अपने ही देश घरों से पलायन को मजबूर करने वाली राजनीति को 44,170 कश्मीरी पंडितों को जवाब देना होगा कहां, क्यों और किसके आगे मजबूर थे। वह कांग्रेसी नेता जो आज मंदिरों में माथा टेकने के लिए धरनो पर बैठे रहे है अब उन्हें अपना चुनाव चिन्ह बदलकर गिरगिट रख लेना चाहिए । राम के नाम की सौगंध खाने वाले घड़ियाल आंसू बहाने वालों कांग्रेसियों को अपने आराध्य व साध्य मणि शंकर अय्यर की 15 जनवरी 2024 को प्रकाशित वह किताब पढ़नी चाहिए ” राजीव आई नयू” जिसमें उन्होंने अरुण नेहरू को ऐजेंट बताया है। और राम मंदिर के कपाट खोलने पर अफसोस जताया हैं।
आज यह नकली हिंदू बनकर उल्टे जनेऊ पहन कर राम नाम जप रहे हैं।
हमारी आस्थाओं के केंद्र धार्मिक मंदिरों कोआय के स्रोत व्यावसायिक केंद्र बनाने वाले मांस मछली की धामे रख कर आज राम भक्त बनने का प्रयास कर रहे हैं। विवेक शर्मा ने कहा
लेकिन प्रदेश की जनता के साथ-साथ देश व पूरा विश्व इस मुखोटे को पहचानता है कि राम को टेंट से इस भव्य मंदिर में कौन लेके आए हैं। जो राम को लाए हैं जनता उनको लेगी जो राम का अस्तित्व मिटाने आए थे जनता उनका अस्तित्व मिटाएगी।
यह भारत भूमि है हमने अपने परिवारों से लेकर सरकारों की शहादते देकर यह स्वाभिमान की लड़ाई जीती हैं। अपना अस्तित्व बचाया है हमारा इतिहास रणबांकुरो की विरासत है। हमने सत्ता सुख के लिए नहीं लोकतंत्रक राजनीतिक व्यवस्था सम्मान के लिए अपनाई है।।