#बारिश-बर्फबारी से बढ़ीं दुश्वारियां, शिमला सहित सात क्षेत्रों का न्यूनतम तापमान माइनस मे|

Himachal Weather:Difficulties increased due snowfall, minimum temperature in seven areas including Shimla in m

प्रदेश में बारिश-बर्फबारी से दुश्वारियां बढ़ गई हैं। शिमला सहित सात क्षेत्रों का न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। 

हिमाचल प्रदेश में बारिश-बर्फबारी से दुश्वारियां बढ़ गई हैं। शिमला सहित सात क्षेत्रों का न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। सोमवार सुबह 10:00 बजे तक राज्य में चार नेशनल हाईवे सहित  654 सड़कें यातायात के लिए बाधित थीं। लाहौल-स्पीति जिले में सबसे अधिक 290 और शिमला में 166 सड़कें बाधित हैं। वहीं, राज्य में 1,655 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हैं। 145 पेयजल योजनाएं भी प्रभावित चल रही हैं।

कुल्लू, चंबा, लाहौल, किन्नौर, शिमला, सिरमौर, मंडी के बर्फबारी वाले इलाकों में विद्यार्थियों के लिए बोर्ड परीक्षाएं देना चुनौती बन गया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने 4 व 5 मार्च को उच्च पर्वतीय कुछ स्थानों पर मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान जताया है। 6 और 7 मार्च को राज्य के कई स्थानों पर फिर बारिश-बर्फबारी की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से मौसम में यह बदलाव आने की संभावना है। 8 से 9 मार्च तक मौसम साफ रहने के आसार हैं। आज राजधानी शिमला व अन्य भागों में हल्की धूप खिलने के साथ बादल छाए हुए हैं। 

चंबा-खज्जियार मार्ग पर दरकी पहाड़ी
चंबा-खज्जियार मार्ग पर गजनुई के पास भूस्खलन के चलते यातायात के लिए बाधित हो गया। पहाड़ी दरकने से सड़क पर टनों के हिसाब से गिरे मलबे और चट्टानों के चलते पैदल भी राहगीर आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं। इससे क्षेत्र की दर्जनभर पंचायतों का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह से कट गया है। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची विभागीय टीमें मार्ग को बहाल करने के काम में जुट गया गई हैं।

निगुलसरी में पत्थर लगने से एलएंडटी ऑपरेटर की मौत
वहीं, किन्नौर जिले के निगुलसरी में भूस्खलन से बंद मार्ग को बहाल करने समय पहाड़ी से पत्थर गिरने एलएंडटी ऑपरेटर की मौत हो गई है। मृतक की पहचान मदन( 27)पुत्र कृष्ण लाल निवासी कुल्लू के रूप में हुई है। 

कहां कितना न्यूनतम तापमान
शिमला में न्यूनतम तापमान -0.1, सुंदरनगर 4.3, भुंतर 4.1, कल्पा -2.4, धर्मशाला 6.5, ऊना 3.7, नाहन 8.2, केलांग -10.9, पालमपुर 1.2, सोलन 3.4, मनाली -0.4, कांगड़ा 5.3, मंडी 4.7, बिलासपुर 8.2, डलहौजी 0.2, जुब्बड़हट्टी 2.8, कुफरी -3.0, कुकुमसेरी -11.2, नारकंडा -2.9, सेऊबाग 1.8, धौलाकुआं 7.4, बरठीं 7.0, मशोबरा 1.9, पांवटा साहिब 9.0, सराहन 2.5 और देहरागोपीपुर में 7.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। 

एक दिन में सामान्य से 955 फीसदी ज्यादा बरसे बादल
वहीं,  प्रदेश में पिछले 24 घंटों से झमाझम बारिश हो रही है। प्रदेश में रविवार को सामान्य से 955 फीसदी अधिक बादल बरसे हैं। तीन मार्च को 4 मिलीमीटर बारिश सामान्य मानी गई है, जबकि रविवार को एक दिन में 42.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है।पूरे प्रदेश की बात करें तो मनाली में 33 साल बाद सबसे ज्यादा 88 मिलीमीटर बारिश हुई है। इससे पहले 1990 में 112 मिलीमीटर बारिश हुई थी। राजधानी शिमला में सात साल बाद मार्च महीने में 38 मिलीमीटर बारिश हुई है। वर्ष 2016 में यहां 43.8 मिलीमीटर बारिश हुई थी।

नाहन शहर में 2015 के बाद सबसे ज्यादा बारिश हुई है। यहां नौ साल बाद 83.3 मिलीमीटर बारिश हुई है। 2015 में नाहन में 116 मिलीमीटर बारिश हुई थी। धर्मशाला में तीन साल बाद ज्यादा बारिश हुई है। यहां 2020 में 152, जबकि पिछले 24 घंटों में 55 मिलीमीटर बारिश हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. सुरेंद्र पाॅल ने बताया कि हिमाचल में पश्चिमी विक्षोभ बेहद सक्रिय रहा। इसी कारण हिमाचल में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। आने वाले दो दिनों में मौसम में थोड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

ओलावृष्टि-अंधड़ से स्ट्राबेरी, गेहूं की फसल बर्बाद
प्रदेश में ओलावृष्टि और अंधड़ से स्ट्राबेरी, गेहूं और मटर की फसल को भारी नुकसान हुआ है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी से सेब की बंपर फसल की उम्मीद  जगी है।  सिरमौर, सोलन, धर्मशाला और नाहन सहित अन्य इलाकों में रविवार को ओलावृष्टि और अंधड़ से फसलों को नुकसान हुआ। जिला किन्नौर के कई इलाकों में अच्छी बर्फबारी से चिलिंग ऑवर पूरे होने के बाद सेब की बंपर फसल लगने की उम्मीद है। सिरमौर के पांवटा साहिब उपमंडल के आधा दर्जन से अधिक गांवों में भारी ओलावृष्टि और बारिश के चलते स्ट्राबेरी व गेहूं की फसल को क्षति पहुंची है। स्ट्राबेरी के सीजन के शुरुआती में ही उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा है।

पूर्व पंचायत प्रधान पीपलीवाला पंचायत जुल्फकार अली, पूर्व बीडीसी सदस्य मिश्रवाला फरीज खान, भजन चौधरी व मुकेश कुमार ने बताया कि स्ट्राबेरी फसल सबसे ज्यादा खराब हुई है। पांवटा के सैनवाला, गुंगलो, सूरजपुर, कीरतपुर, पीपलीवाला, क्यारदा, मेलियों मिश्रवाला, बेहड़ेवाला व भगवानपुर में स्ट्राबेरी की फसल बुरी तरह से बर्बाद हो गई है। अभी पौधों में फल आने शुरू ही हुए हैं।

उधर, सोलन जिला के चायल और बीबीएन में तेज हवाओं के साथ हुई ओलावृष्टि से गेहूं की फसल खेतों में बिछ गई है। बीबीएन में 11 हजार हेक्टेयर जमीन पर किसानों ने गेहूं की फसल लगाई है, जिसे नुकसान पहुंचा है। वहीं पहाड़ी क्षेत्र चायल में तेज हवा के साथ हुई ओलावृष्टि हुई। इससे मटर की फसल को नुकसान पहुंचा है।  हिमाचल सेब, सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि ताजा बर्फबारी के बाद सेब की अच्छी फसल के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन गई है।

 बर्फ में चार किलोमीटर पैदल चलकर परीक्षा देने पहुंची छात्रा
 जनजातीय क्षेत्र लाहौल में हुई भारी बर्फबारी से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस कारण घाटी के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा देने में भी परेशानी हो रही है। 
सोमवार को खंगसर गांव की एक छात्रा 12वीं की परीक्षा देने बर्फ के बीच चार किलोमीटर पैदलचल कर परीक्षा केंद्र गोंधला पहुंची। इस दौरान उनके पिता भी साथ थे। वहीं घाटी में बिजली भी गुल है।

पांगी में विद्यार्थियों के लिए परीक्षाएं देना बना चुनौती
चंबा जिले के पांगी में मौसम की बेरूखी के बीच वार्षिक परीक्षाएं देना विद्यार्थियों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। तीन से चार फीट बर्फ के बीच गिरते-फिसलते हुए एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जैसे-तैसे विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए पहुंच रहे हैं। मार्ग बंद होने के चलते लोगों को बर्फ पर ही चलकर किलाड़ मुख्यालय पहुंचकर राशन समेत अन्य खाद्य सामग्री पीठ पर लाद घर तक पहुंचानी पड़ रही है। 

परवाणू-सोलन फोरलेन पर पहाड़ी पर लगे डंगे का हिस्सा टूटकर सड़क पर गिरा
 परवाणू-सोलन फोरलेन पर सोलन शहर के दोहरी दीवार के समीप पहाड़ी पर लगे डंगे का हिस्सा टूटकर सड़क पर गिर गया। इससे सोलन से सुबाथू सड़क पर वाहनों को आवाजाही करने में दिक्कत आ रही है। बताया जा रहा है कि यह डंगा तड़के सुबह टूटा है। इसके बाद यहां से वाहनों की आवाजाही डिवाइडर को तोड़कर बनाई गई अस्थायी सड़क से हो रही है। वहीं बारिश के बाद यहां पर भूस्खलन का खतरा भी मंडराया हुआ है और लगातार पहाड़ी से मिट्टी और मलबा सड़क पर गिर रहा है। हालांकि पुलिस की ओर से सड़क के शुरुआत में ही बैरिकेड लगाकर बंद किया गया है ताकि किसी भी तरह के नुकसान से बचा जा सके। यह डंगा बरसात के दौरान रह गया था। बारिश में डंगे का अन्य हिस्सा टूटना शुरू हो जाता है।

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