प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने सरकार बचाने का तर्क देकर कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान का मामला उठाकर अपनों को घेर दिया है।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अभी भी सब कुछ सही नहीं हुआ है। मनभेद फिर सामने आ गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने बुधवार को सरकार बचाने का तर्क देकर कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान का मामला उठाकर अपनों को घेर दिया है। पार्टी हाईकमान के मानमनोव्वल के बाद भी प्रतिभा सिंह के तेवर नरम नहीं हुए हैं। प्रतिभा सिंह के बदले रुख ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान को पसोपेश में डाल दिया है। वर्ष 2021 में जयराम सरकार के समय मंडी संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव जीतने वाली प्रतिभा सिंह के अब चुनाव मैदान से पीछे हटने के एलान से मंडी में राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं।
हमीरपुर, कांगड़ा और शिमला में पहले ही कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों की तलाश ने कांग्रेस को उलझाया हुआ है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव के नतीजे निकलने के बाद से कांग्रेस के दो धड़ों में शीतयुद्ध जारी है। प्रदेश में कई वर्षों तक कांग्रेस के पॉवर हाउस रहे हॉलीलॉज (पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह का निजी आवास) के हाथ से सत्ता निकलने के बाद से प्रतिभा सिंह का सरकार के साथ मतभेद और मनभेद चल रहा है।
सांसद प्रतिभा कई बार सार्वजनिक मंचों से लेकर पार्टी हाईकमान के समक्ष उनके समर्थकों को सरकार में नियुक्तियां नहीं मिलने की बात उठाकर अपनी नाराजगी को भी जताती आई हैं। अयोग्य घोषित कांग्रेस के छह विधायकों के बागी होने के लिए भी वे सरकार को जिम्मेवार ठहरा चुकी हैं। अब लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय होने से एकाएक पहले प्रतिभा सिंह ने मंडी सीट से चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर पार्टी को बड़ी परेशानी में डाल दिया है।
वर्तमान सांसद की जगह अब नया प्रत्याशी तलाशने के लिए कांग्रेस को नये सिरे से होमवर्क करने की नौबत आ गई है। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पुत्र और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी बीते दिनों सरकार के खिलाफ मुखर थे और पद से इस्तीफा भी दे दिया था। इसके बाद विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री के साथ चलकर सरकार के पूरी तरह से मजबूत होने की बातें भी कही थीं। प्रतिभा के चुनाव न लड़ने के बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों में उनका आगामी कदम क्या होगा। इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
एक साल से मंडी संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रही हैं प्रतिभा
एक साल से प्रतिभा मंडी संसदीय सीट में पूरी तरह से सक्रिय नजर आई हैं। उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी यहां लगातार दौरे करते रहे हैं। अब प्रतिभा सिंह के चुनाव नहीं लड़ने के एलान के बाद विक्रमादित्य का मंडी के प्रति क्या रुख रहेगा। इस पर भी नजरें टिक गई हैं। उधर, प्रतिभा सिंह ने सुक्खू सरकार को बहुमत में रखने के लिए पूरा ध्यान उपचुनावों पर लगाने का तर्क देते हुए खुद को पार्टी के प्रति समर्पित नेता भी दिखाने का प्रयास किया है। अब आने वाले दिनों में प्रतिभा सिंह की कार्यप्रणाली कैसी रहेगी, इस पर कांग्रेस के साथ भाजपा ने भी नजरें गढ़ाई हुई हैं।
प्रतिभा सिंह के इन्कार के बाद भाजपा के लिए मंडी संसदीय सीट में बदले समीकरण
प्रतिभा सिंह के इन्कार के बाद मंडी सीट पर भाजपा के भी प्रत्याशी चयन के समीकरण बदल गए हैं। भाजपा अब यहां प्रत्याशी को लेकर नए सिरे से मंथन करेगी। कांग्रेस से प्रतिभा की उम्मीदवारी को लक्षित कर ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को प्रत्याशियों के पैनल भेजे गए हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने एलान कर दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। अगर कांग्रेस हाईकमान उनके इन्कार करने पर उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारता है तो उस स्थिति में भाजपा के लिए भी प्रत्याशी चयन प्रक्रिया के मापदंड बदल जाएंगे।
भाजपा मंडी का टिकट कुछ और देरी से घोषित कर सकती है। प्रदेश भाजपा से मांगे गए पैनल में हिमाचल जयराम ठाकुर, अजय राणा और बिहारी लाल शर्मा के नाम भेजे गए हैं। मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के बाद माना जाने लगा है कि जयराम ठाकुर संभवतया उम्मीदवार न हों। उन्हें राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रखा जा सकता है। अजय राणा और बिहारी लाल शर्मा के नाम चर्चा में रहे हैं। वहीं, पूर्व में चुनाव लड़ चुके ब्रिगेडियर खुशाल चंद, पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, अजय जम्वाल के नाम भी चर्चा में हैं। उधर, कांग्रेस के बागियों पर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते कांगड़ा में भी भाजपा के टिकट का पेच फंसा है। चर्चा है कि यहां से सुधीर शर्मा पर भाजपा विचार कर सकती है, मगर अभी अन्य बागियों की तरह सुधीर ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि उनसे भाजपा की इस पर कोई बात हुई है या नहीं।