
केंद्र की कश्ती से कर्ज की इस नैया को पार लगाने के प्रयास होते रहे, मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात ही रही है।
हिमाचल प्रदेश में पिछले कई दशकों से हर सरकार कर्ज लेकर ही पांच साल हांकने को विवश रही है। केंद्र की कश्ती से कर्ज की इस नैया को पार लगाने के प्रयास होते रहे, मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात ही रही है। जनता हिमाचल प्रदेश से सांसदों को यही सोचकर लोकसभा भेजती रही कि केंद्र की बैसाखी से वे हिमाचल को अपने पैरों पर खड़ा करवाएंगे और देवभूमि के ऋणमोचक बनेंगे, मगर वे भी अपनी आवाज उसी शिद्दत से उठाने में ज्यादा सफल होते नजर नहीं आए।
चाहे पहले की यूपीए या फिर एनडीए सरकारें रही हों, हर बार हिमाचल प्रदेश में केंद्र से प्रचुर आर्थिक मदद नहीं मिलने के आरोप लगते रहे हैं। राज्य में आमदनी बढ़ाने की बातें तो खूब होती हैं, मगर सच्चाई यह है कि हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ तले ही दबता जा रहा है। राज्य की आय अठन्नी और खर्चा रुपया है। यह सिलसिला पिछले कई दशकों से चल रहा है। पिछली तीन सरकारों और वर्तमान सरकार के ऋण लेने के आंकड़े देखें तो वर्ष 2011-12 में भाजपा की धूमल सरकार ने 26,684 करोड़ रुपये का ऋण छोड़ा था।
इसके बाद कांग्रेस की वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में 2016-17 में 44,422 करोड़ का ऋण पड़ा तो भाजपा की जयराम सरकार के कार्यकाल तक यह करीब 75 हजार करोड़ रुपये हो गया। जो वर्तमान सुक्खू सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के पूरा होने तक 87,788 करोड़ पहुंच चुका है। पिछले 12 साल में ऋण 3.28 गुना हो गया। कांग्रेस की ओर से केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान, जीएसटी प्रतिपूर्ति पहले से कम होने की बातें उठती रही हैं और ओपीएस के लागू होने के बाद एनपीएस की ग्रांट भी। इसके अलावा हिमाचल को आपदा में विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग भी उठी। हालांकि भाजपा का तर्क रहा है कि हिमाचल सरकार के बजट में केंद्र से वित्तपाेषित योजनाएं ही होती हैं और इनके महज नाम बदले जाते हैं।
ऐसे बढ़ता रहा कर्ज
वर्ष करोड़
2013-14 31,442.56
2014-15 35,151.60
2015-16 38,567.82
2016-17 44,422.21
2018-19 47,906.21
2019-20 50,772.88
2020-21 56,106.90
2021-22 63,735.61
2022-23 76,650.70
2023-24 87,788.00
बड़ी देनदारियां छोड़कर सत्ता से बाहर हुई भाजपा
भाजपा की पिछली सरकार को डबल इंजन कहते थे, जो बड़ी देनदारियां छोड़कर गई। करीब दस हजार करोड़ रुपये तो कर्मचारियों को नए वेतनमान के एरियर के छोड़ गए, पेंशनरों के देय लाभ भी। महंगाई भत्ता नहीं दिया। सदी की सबसे बड़ी आपदा आई, मगर केंद्र से प्रभावितों की मदद नहीं हुई। मुख्यमंत्री सुक्खू के दृढ़ संकल्प से राज्य आर्थिक संकट से उबरेगा। तमाम मुश्किलों के बावजूद 20 फीसदी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा चुका है। सरकार आमदनी के साधन बढ़ा रही है, तो विपक्ष उसमें भी अड़गे फंसा रहा है। सीएम के प्रयास से 2032 तक हिमाचल देश का सबसे अमीर राज्य होगा।-रितेश कपरेट, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी
सुक्खू सरकार ने कर्ज लेने का रिकॉर्ड बनाया
कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के पहले ही वर्ष में कर्ज लेने का रिकॉर्ड बनाया। प्रति महीने 1500 करोड़ रुपये के हिसाब से लेकर एक साल में कांग्रेस सरकार ने 14000 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया। सीएम सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में 11 दिसंबर 2022 को शपथ ली थी और उसके बाद प्रदेश में ऋण लेने का क्रम बंद नहीं हुआ। लोन तो भाजपा ने लिए, पर कांग्रेस की गति का मुकाबला नहीं। पूर्व प्रेम कुमार धूमल सरकार का दूसरा कार्यकाल दिसंबर 2007 से दिसंबर 2012 तक रहा। 5 वर्ष के कार्यकाल में 7466 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था। -बिहारी लाल शर्मा, प्रदेश महासचिव, भाजपा