# क्यों हैं आनंद शर्मा कांगड़ा से कांग्रेस के मजबूत दावेदार…

पांच दशक के राजनीतिक जीवन में बेदाग रहे हिंदुस्तान के दिग्गज नेता और देश के कपड़ा, विदेश और सूचना प्रसारण जैसे मंत्रालयों के मंत्री रहे आनंद शर्मा कांगड़ा लोकसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए जाने से कांगड़ा सीट अचानक हॉट सीट बन गई है।

हालांकि आनंद शर्मा अब तक केवल राज्यसभा के माध्यम से ही संसद में पहुंचते रहे हैं और यह उनका पहला लोकसभा चुनाव होगा, लेकिन उनकी विद्वता, देश के नीति-निर्माण में उल्लेखनीय योगदान, नीतिगत पहल और संस्थान निर्माण की उनकी क्षमता का लोहा न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना जाता है।


आनंद शर्मा हिमाचल और राजस्थान से दो-दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए और मनमोहन सरकार में दोनों बार केंद्रीय मंत्री के तौर पर शामिल रहे।


वैसे तो आंनद शर्मा देश के दिग्गज नेता रहे हैं और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलिब्धयां उनके नाम हैं, लेकिन रोचक ये भी है कि कपड़ा मंत्री रहते आंनद शर्मा ने ही कांगडा में एनएफटी यानी नेशनल फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान खुलवाया था। इसके अलावा कांगड़ा चाय उद्योग के लिए टीबोर्ड जैसे संस्थानों के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किया है। इंदौरा में आया औद्योगिक निवेश भी आनंद शर्मा की ही देन माना जाता है।


कांग्रेस ने भाजपा के उम्मीदवार के मुकाबले भारी-भरकम प्रत्याशी उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है। मुख्यमंत्री सुक्खू से नजदीकियों और बड़े कद के चलते आनंद शर्मा के पीछे पूरी कांग्रेस एकजुट नजर आ रही है।


एक जमाने में राजीव गांधी के खासमखास लोगों में शुमार रहे आनंद शर्मा का राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव और संघर्षों की लंबी कहानी है। साल 1953 में शिमला में जन्मे आनंद शर्मा ने हिमाचल यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद 1977 में शिमला बार एसोसिएशन में एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। पहले कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव रहने के बाद आनंद शर्मा 1978 से 1981 तक हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।

इसके बाद राजीव गांधी की पसंद से आनंद शर्मा को अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इसी दौरान साल 1982 में शिमला विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार दौलत राम चौहान से आनंद शर्मा हार गए थे। केवल यही एक सीधा चुनाव आनंद शर्मा ने लड़ा और हारा था।


राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कुछ सालों तक पर्दे के पीछे रहने के बाद 2006 से 2014 तक कांग्रेस सरकारों में आनंद शर्मा कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में मंत्री रहे और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता के रूप में भी उनका कार्यकाल खूब सराहा जाता है। एक सक्षम प्रशासक, नीति-निर्माता के तौर पर सांसद, कैबिनेट मंत्री और राज्यसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर काम करते हुए आनंद शर्मा कांग्रेस के टॉप ब्रास में शामिल रहे हैं।


उल्लेखनीय है कि आनंद शर्मा ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद और उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा कर अंतरराष्ट्रीय स्तर भी अपना नाम बनाया।

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