# सुंडी रोग से गेहूं की पैदावार गिरी, किसानों को भारी नुकसान…

Wheat production fell due to bollworm disease, farmers suffered huge losses

गेहूं उत्पादन में कृषि प्रधान माने जाने वाले पांवटा क्षेत्र में गेहूं की फसल पर सुंडी ने ऐसा कहर बरपाया कि किसानों को लाखों का नुकसान पहुंचा है।

इस साल पांवटा क्षेत्र में गेहूं की फसल पर सुंडी के प्रकोप से गेहूं की पैदावार में भारी कमी देखने को मिल रही है। हिमाचल में गेहूं उत्पादन में कृषि प्रधान माने जाने वाले पांवटा क्षेत्र में गेहूं की फसल पर सुंडी ने ऐसा कहर बरपाया कि किसानों को लाखों का नुकसान पहुंचा है। बता दें कि इस बार गेहूं की फसल में सुंडी रोग का पहला मामला सिरमौर के धौलाकुआं में सामने आया था। अमूमन सुंडी रोग मुलायम फसलों मटर, दालों सहित घास में लगता है, लेकिन इस बार यह गेहूूं में भी देखने को मिला।

इस रोग की जानकारी कृषि  विभाग सहित संबधित विशेषज्ञों  तक भी पहुंची, लेकिन तब तक फसल को भारी नुकसान पहुंच चुका था। सैकड़ों बीघा भूमि पर खड़ी फसल को इस रोग से इस बार काफी नुकसान पहुंचा। किसानों ने बताया कि दबे पांव आए इस रोग का शुरू में तो पता नहीं चल सका, जिसके चलते किसानों ने भी इस और ध्यान भी नहीं दिया। जब यह रोग पूरे क्षेत्रों में फैल गया तब तक दवा का छिड़काव करने में देर हो चुकी थी।  

गेहूं में सुंडी लगने की खबर को ‘अमर उजाला’ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उस समय विभाग ने दवाई का छिड़काव करने की सलाह दी थी। लेकिन तब गेहूं पक कर तैयार हो रही थी और ऐसे में दवा का छिड़काव करने से किसानों ने परहेज ही किया।  bकिसान राम स्वरूप, शान्ति स्वरूप, दिनेश कुमार, गुमान, श्याम लाल, मलकीत, राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि गेहूं की पैदावार में प्रति एकड़ दो क्विंटल अनाज सुंडी चट कर गई है। इसका  किसानों को तब पता चला जब कटाई करते हुए गेहूं कटी जमीन पर बिछी देखी। इसी प्रकार क्षेत्र में हजारों क्विंटलगेहूं की फसल सुंडी के खाने से लाखों का नुकसान हुआ है।

समय पर सुंडी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका
प्रदेश में गेहूं में सुंडी लगने का पहला मामला सामने आया था। इस कारण समय पर सुंडी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका। किसानों ने जानकारी दी है कि गेहूं में सुंडी लगने से पैदावार कम हो रही है। 

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