हिमाचल में लोक निर्माण विभाग ने ठेकेदारों को 25 एमएम मिक्स सील सरफेसिंग (एमएसएस) करने को कहा है, लेकिन ठेकेदार एमएसएस करने से मुकर गए हैं। ठेकेदारों को कहना है कि सड़कों की गुणवत्ता के चलते यह ठीक नहीं है। ऐसे में इस टारिंग की गारंटी नहीं दी जा सकती है।
हिमाचल में इन दिनों सड़कों की टारिंग का काम चल रहा है। लोक निर्माण विभाग ने दो हजार किलोमीटर टारिंग करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विभाग ने ठेकेदारों को 25 एमएम मिक्स सील सरफेसिंग (एमएसएस) करने को कहा है, लेकिन ठेकेदार एमएसएस करने से मुकर गए हैं। ठेकेदारों को कहना है कि सड़कों की गुणवत्ता के चलते यह ठीक नहीं है। ऐसे में इस टारिंग की गारंटी नहीं दी जा सकती है। ऐसे में पहले की तरह 30 एमएम क्रिकटेरिंग (बीसी) करने की हामी भरी है। इसको लेकर एसोसिएशन ने इंजीनियर इन चीफ को पत्र लिखा है। कहा है कि अगर सड़कें उखड़ी तो ठेकेदार इसका जिम्मेदार नहीं होगा
हिमाचल के अधिकांश जिलों में पहले से ही 30 एमएम बीसी हो रही थी। अब लोक निर्माण विभाग ने नए फरमान जारी किए हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार बिज ने कहा कि सड़क पर टारिंग करने के बाद 6 साल तक गारंटी होती है। इस बीच अगर सड़क की टारिंग उखड़ती है तो ठेकेदारों को निशुल्क टारिंग करनी होती है। ठेकेदारों ने 25 एमएम मिक्स सील सरफेसिंग को घटिया बताया है। उन्होंने कहा कि इस टारिंग में तारकोल 5.1 फीसदी पड़ता है।
सीमेंट को भी नहीं मिलाया जाता है। ऐसे में टारिंग एक साल भी नहीं टिक सकती है। जहां तक 30 एमएस बीसी की बात है, यह टारिंग छह साल और इससे ज्यादा चलती है। इसमें तारकोल 5.7 फीसदी डाला जाता है। सीमेंट की मात्रा भी दो फीसदी रहती है। इस टारिंग की गारंटी दी जा सकती है। सतीश बिज ने कहा कि अभी तक लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। ठेकेदारों पर जबरन काम थोपना मान्य नहीं होगा।