हिमाचल में जंगलों की आग से घुट रहा दम, बढ़ने लगे श्वास रोगी

people suffocating due to forest fire, respiratory problems are increasing

 हिमाचल प्रदेश के जंगलों में रोजाना लग रही आग के धुएं से श्वास और अन्य रोगियों की संख्या अस्पतालों में बढ़ना शुरू हो गई है। 

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में रोजाना लग रही आग के धुएं से श्वास और अन्य रोगियों की संख्या अस्पतालों में बढ़ना शुरू हो गई है। रोजाना सोलन अस्पताल में 15 से 20 श्वास रोगी पीड़ित उपचार के लिए पहुंच रहे हैं, सामान्य दिनों में 5-6 मरीज पहुंचते हैं। इसमें ऐसे मरीज भी है जिन्हें तीमारदार आपातस्थिति में उपचार के लिए अस्पताल लेकर आ रहे हैं। इसी के साथ सिरदर्द और घबराहट के भी करीब 50 मामले रोजाना आ रहे हैं, जो सामान्य दिनों में करीब 10 मरीज आते हैं। 

मरीजों की हालत को देखते हुए उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती करना पड़ रहा है। श्वास की समस्या से परेशान होकर अधिकतर बुजुर्ग अस्पताल आ रहे हैं। बच्चों को भी सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय अस्पतालों में ही नहीं बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी श्वास व अन्य रोगी उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ते धुएं को देखते हुए कई जिलों में अलर्ट भी जारी किया है। मास्क लगाने का आग्रह भी लोगों से किया है ताकि धुएं से बचाव किया जा सके। वहीं, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि अगर इसी तरह धुआं फैला रहा तो मरीजों की संख्या में आगामी दिनों में इजाफा होगा। इसे लेकर महकमे ने अधिकारियों को कमर कसने के लिए कहा है।

चिकित्सकों के अनुसार भी गर्मियों में श्वास रोगियों की संख्या काफी कम हो जाती थी। लेकिन बीते वर्षों के मुकाबले इस बार श्वास रोगियों की संख्या कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। इसके अलावा भी बीमारियां बढ़ रही हैं। प्रदेश में रोजाना जंगलों में आग लगने के मामले सामने आ रहे हैं। पेड़ों और चीड़ की पत्तियों के जलने के कारण धुआं अधिक हो गया है। इससे वातावरण में धुआं भी जमा हो गया है। वातावरण में धुआं जमा हो जाने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। प्रदेश की आबोहवा में पूरी तरह से धुएं का जहर घोल दिया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में कई जिलों की हवा निर्धारित आंकड़े से ऊपर चली गई है। ऐसे में विभाग ने भी बचाव का आग्रह किया है।

अस्पताल में श्वास रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण जंगलों में लगी आग से उठ रहा धुआं है। यह लोगों की सेहत पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। ऐसे में श्वास रोगियों को अपना विशेष ख्याल रखना होगा। धुएं से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करें। -डॉ. कमल अटवाल, मेडिसिन विशेषज्ञ, क्षेत्रीय अस्पताल सोलन

वनों की आग पर नियंत्रण के लिए जन सहभागिता जरूरी : सक्सेना
 मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को प्रदेश में वनों को आग से बचाने के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि वनों की आग पर नियंत्रण के लिए जन सहभागिता बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को वनों में आग लगने पर निकटतम वन विभाग कार्यालय या आपातकालीन सेवाओं के टोल-फ्री नम्बर-1077 और 1070 पर सूचना देनी चाहिए।

वनों की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों और अग्निशमन के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने लोगों से जंगल में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों के बारे में जानकारी वन विभाग और पुलिस को देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वनों  को आग से बचाने के लिए मल्टी यूटीलिटी व्हीकल, ब्लोेेबैग उपलब्ध करवाए गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन की सहायता से निगरानी की जा रही है। बैठक में पुलिस महानिदेशक डॉ. अतुल वर्मा, पीसीसीएफ (हॉफ) राजीव कुमार, एडीजीपी एवं निदेशक फायर सर्विसिज राकेश अग्रवाल, निदेशक ग्रामीण विकास राघव शर्मा, विशेष सचिव डीसी राणा उपस्थित थे। 

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