# चकमोह में जंगल के धुएं के गुबार से घिरा घर, दम घुटने से महिला की मौत…

Hamirpur News House surrounded by forest smoke in Chakmoh woman dies due to suffocation

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में जंगल की आग के धुएं से दम घुटने से महिला की मौत हो गई है।

हमीरपुर जिले के दियोटसिद्व क्षेत्र के चकमोह पंचायत के चलाड़ा जंगल में लगी आग के धुएं से दम घुटने से महिला की मौत हो गई है। हालांकि महिला का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया है। महिला के परिजनों का कहना है कि घर के चारों ओर जंगल में भयंकर आग लगी थी। दिनभर जंगलों में दहकी आग से घर के चारों ओर धुएं के गुबार से महिला को सांस लेने में बड़ी दिक्कत हुई।

‘महिला को नहीं था कोई सांस से संबधित रोग’
शाम के वक्त महिला परिवार के साथ घर छोड़ कर राधास्वामी सत्संग भवन चकमोह में चली गई, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। बुधवार को सुबह के वक्त महिला को बड़सर अस्पताल ले जाने के लिए परिजन घर में निकले, लेकिन उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। मृतका उर्मिला देवी आंगनबाड़ी केंद्र सर्कल चकमोह के मंछेद में बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात थी। परिजनों के अनुसार 54 साल की उर्मिला को सांस से संबंधित कोई रोग नहीं था।

‘धुएं की वजह से सांस लेने में हो रही थी दिक्कत’
महिला के परिजनों का कहना है कि उनका घर के चारों ओर चीड़ के वृक्षों का घना जंगल है। उनके घरों के नजदीक गत दिवस जंगल में लगी आग के कारण घना धुआं छाया हुआ था। जिसके चलते लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। परिजनों ने कहा कि उर्मिला को धुआं की वजह से शाम के वक्त सांस लेने में अधिक दिक्कत हो रही थी। इसी के चलते हैं उन्हें अस्पताल ले जाया गया। बीच रास्ते में ही उर्मिला देवी ने दम तोड़ दिया। मृतका के तीन बच्चे हैं जिनमें से एक की शादी हो चुकी है व दो लड़के अभी कुंवारे हैं। पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। मृतका के पति पुरूषोतम ने कहा कि दम घुटने के कारण पत्नी की मौत हो गई। दम घुटने पर पत्नी पर अस्पताल ले जा रहे थे कि रास्ते में ही मौत हो गई। इसपर वापिस घर आ गए। उन्होंने कहा कि पत्नी को कोई बीमारी नहीं थी।

चार परिवार रात को घर छोड़ सामुदायिक भवन में पहुंचे
चलाड़ा गांव से सटे जंगलों के साथ मुख्यालय हमीरपुर के साथ लगते जंगल भी राख हो गए है। आग का धुआं शहर और गांव तक पहुंच रहा है। वहीं, दियोटसिद्व, चलाड़ा, बुथाण जंगलों की आग का धुआं लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। चलाड़ा जंगल की आग के धुएं के कारण विनोद, अंकुश, महेंद्र, भानचंद के परिवारों को घर छोड़ कर 500 मीटर दूर सामुदायिक भवन में शरण लेने को विवश को गए। आग का धुआं शांत होने के बाद लोग देररात वापस लौटे।

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