शिमला, मंडी, कुल्लू, सिरमौर और चंबा से कांग्रेस प्रत्याशियों को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया।
माकपा के समर्थन और संयुक्त किसान मंच के सहयोगी बागवानों के सहयोग के बावजूद सेब बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। शिमला, मंडी, कुल्लू, सिरमौर और चंबा से कांग्रेस प्रत्याशियों को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया। कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में संयुक्त किसान मंच और इंडिया गठबंधन की मोर्चाबंदी भी विफल साबित हुई। इंडिया गठबंधन से घटक दलों में शामिल माकपा ने कांग्रेस प्रत्याशियों को खुले समर्थन का एलान किया था। माकपा नेताओं ने कांग्रेस की जनसभाओं में मंच भी साझा किया। माकपा नेता राकेश सिंघा, संजय चौहान, टिकेंद्र पंवर, ओंकार शाद, विजेंद्र मेहरा ने रैलियों को संबोधित कर समर्थन जुटाने का प्रयास किया।
हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार था जब माकपा का कैडर लाल झंडों के साथ कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में रैली करता नजर आया। माकपा नेताओं ने डोर टू डोर जन संपर्क और नुक्कड़ सभाओं में भी वोट मांगे। राजधानी शिमला, रामपुर और मंडी में इंडिया गठबंधन के समर्थन में कांग्रेस के प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी और विक्रमादित्य सिंह के पक्ष में माकपा ने रैलियां निकालीं। शिमला शहर, ग्रामीण, कसुम्पटी, ठियोग, जुब्बल-कोटखाई, रामपुर के अलावा मंडी जिले के बाली चौकी, जोगेंद्रनगर, सुंदरनगर, कुल्लू के बंजार, करसोग, निरमंड सहित अन्य क्षेत्रों में माकपा का जनाधार है। बावजूद इसके इन क्षेत्रों से कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड नहीं मिल पाई।
27 संगठनों के साझा मोर्चा ने दिया था समर्थन
प्रदेश में सेब उत्पादकों के 27 संगठनों के साझा मोर्चा संयुक्त किसान मंच ने भी कांग्रेस को समर्थन का एलान किया। मंच ने चुनावों से पहले सभी राजनीतिक दलों से किसान-बागवानों की मांगों को लेकर तैयार किए गए 6 सूत्रीय मांग पत्र पर उनकी स्थिति साफ करने की मांग की थी। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने जब प्रदेश में रैलियों के दौरान किसान-बागवानों के मुद्दों पर कोई बात नहीं की और कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने फसलों पर एमएसपी देने, किसानों का ऋण माफ करने, फलों की आयात नीति बदलने और जीएसटी मुक्त कृषि का आश्वासन दिया तो मंच ने कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन का एलान किया। मंच के नेताओं ने राजधानी शिमला सहित रामपुर, रोहड़ू, ठियोग, कुल्लू सहित अन्य स्थानों पर सहयोग किया।
सात विधानसभा क्षेत्रों में ही मिली लीड
कांग्रेस प्रत्याशियों को प्रदेश में 63 में से सिर्फ 7 विधानसभा क्षेत्राें में ही लीड मिली। शिमला संसदीय सीट के तहत कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को जुब्बल-काेटखाई और रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र में लीड मिली। मंडी संसदीय सीट के तहत कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को किन्नौर, लाहौल-स्पीति, रामपुर और आनी से लीड मिल पाई।
ठियोग-चौपाल से भी भाजपा को लीड
लोकसभा चुनावों में ठियोग विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को लीड नहीं मिल पाई। ठियोग से कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर और माकपा के समर्थन बावजूद विनोद सुल्तानपुरी के मुकाबले भाजपा के सुरेश कश्यप 2,544 मतों की लीड हासिल करने में कामयाब रहे। वहीं, चौपाल से भाजपा प्रत्याशी को 4,295 मतों की लीड मिली।
कहां हुई चूक, क्या कहते हैं नेता
कमजोर संगठन और मतदाता से सीधा संपर्क स्थापित न हो पाना कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बना। प्रचार-प्रसार में भी मोदी सरकार के मुकाबले कांग्रेस और सहयोगी संगठन कमजोर रहे। प्रत्याशियों की घोषणा में देरी भी एक कारण रहा। विस चुनावों में कर्मियों ने ओपीएस के मुद्दे पर कांग्रेस को वोट दिए, लेकिन लोकसभा में पोस्टल बैलेट में भी भाजपा प्रत्याशी की लीड रही। – राकेश सिंघा, माकपा नेता एवं पूर्व विधायक
जुब्बल-कोटखाई, रोहड़ू, रामपुर, किन्नौर, आनी और लाहौल-स्पीति से कांग्रेस को लीड मिली है। चौपाल में भाजपा प्रत्याशी की लीड हजारों में घटी है। मोदी की लहर के बावजूद शिमला, मंडी संसदीय सीट पर संयुक्त किसान मंच को बागवानों का समर्थन मिला है। लोगों तक पहुंचने के लिए कम समय मिलने के कारण लीड को जीत में नहीं बदल पाए। – हरीश चौहान संयोजक संयुक्त किसान मंच