सेब सीजन आज से आधिकारिक तौर पर शुरू, टाइडमैन सेब 800 से 1,400 रुपये पेटी बिका…

Himachal Apple season officially starts from today Tydeman apples sold at Rs 800 to Rs 1,400 per box

हिमाचल प्रदेश में आधिकारिक तौर पर सेब सीजन 15 जुलाई से शुरू हो गया। हर वर्ष इस समय तक फल मंडियों में बेहतर गुणवत्ता वाले सेब की खेप पहुंचनी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष अभी तक मंडी में बेहतर गुणवत्ता वाली पैदावार नहीं पहुंची है।

भट्ठाकुफर फल मंडी में टाइडमैन, रेड जून और पराला फल मंडी में गाला सेब की खेप पहुंचनी शुरू हो गई है। आढ़तियों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सेब सीजन देरी से शुरू हो रहा है, क्योंकि सूखे की वजह से अधिकतर पैदावार प्रभावित हो गई है। इसकी वजह से फसल का आकार और रंग भी सही नहीं बन पाया है। अभी जो सेब आ रहा है उसे बागवान पूरी तरह तैयार होने से पहले ही तोड़कर मंडी में ला रहे हैं, जिसके चलते बागवानों को शुरुआत में ही फसल के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं। शनिवार को भट्ठाकुफर फल मंडी में 2,986 सेब की पेटियां पहुंची, वहीं रविवार को 1,500 से 1,800 के बीच सेब की पेटियां मंडी में पहुंची। इस दौरान टाइडमैन सेब 800 से 1,400 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिका।

भट्ठाकुफर फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान प्रताप चौहान ने बताया कि गत हफ्ते के मुकाबले इस हफ्ते मंडी में सेब की आवक में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन गुणवत्ता अच्छी नहीं आई है। आने वाले दिनों में यदि मौसम अनुकूल रहता है तो आवक बढ़ने के साथ बागवानों को बेहतर दाम मिलेंगे। पराला फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के उपप्रधान सुशील ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष 15 जुलाई से पहले सेब की स्पर किस्म मंडी में पहुंचनी शुरू हो गई थी, वहीं गाला सेब और टाइडमैन सेब भी अच्छी गुणवत्ता का आ रहा था, लेकिन इस वर्ष तो टाइडमैन ही मंडी में पहुंचा है जिसका आकार छोटा और रंग भी फीका है।

सेब के पौधों में फैल रही बीमारियों ने बढ़ाईं बागवानों की मुश्किलें
जिले के बगीचों में सेब के पौधों में अल्टनेरिया लीफ स्पॉट और पत्ते पीले होने सहित अन्य बीमारियों ने बागवानों की समस्या बढ़ा दी है। रोहड़ू क्षेत्र के बागवान नीमचंद ने बताया कि पहले ही इस वर्ष सीजन देरी से शुरू हुआ है और अब पौधों में बढ़ रही बीमारियों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। कोटखाई के बागवान सुधेश और राहुल ने बताया कि बगीचों में अल्टनेरिया लीफ स्पॉट से 75 फीसदी पत्तियां खराब हो गई हैं। इसका असर फल पर भी पड़ रहा है। यही हाल रहा तो पूरे सीजन में इस बार बागवानों को फसल के बेहतर दाम नहीं मिल पाएंगे।

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