सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक 1,089 साल पुराना चंबा का अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला मिर्जा परिवार के भगवान रघुवीर और लक्ष्मीनारायण को मिंजर चढ़ाने के साथ शुरू हो गया।
चंबा के मिर्जा परिवार के मुखिया एजाज मिर्जा ने अपने हाथों से बनाई मिंजर लक्ष्मीनारायण मंदिर और रघुनाथ मंदिर में अर्पित करने की 400 साल से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाया। आठ दिन तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले का आयोजन हिंदू और मुस्लिम दोनों सदियों से एकसाथ करते आ रहे हैं।
मेले के पहले दिन पूजा-अर्चना और मिंजर अर्पित करने के बाद चौगान मैदान तक शोभायात्रा निकाली। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने चौगान मैदान में प्रदर्शनियों का उद्घाटन कर मेले का विधिवत आगाज किया। इससे पहले राज्यपाल ने भी लक्ष्मीनारायण मंदिर में मिंजर चढ़ाईं।
मेले का समापन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू करेंगे। यह मेला मक्के की नई फसल आने के मौके पर आयोजित किया जाता है। स्थानीय लोग मक्की और धान की बालियों को मिंजर कहते हैं। किंवदंतियों के अनुसार मिंजर मेले की शुरुआत 935 ईस्वी में हुई थी।
जब चंबा के राजा साहिल वर्मन त्रिगर्त (कांगड़ा) के राजा पर विजय प्राप्त कर लौटे थे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें गेहूं, मक्की और धान की मिंजर (बालियां) और ऋतुफल भेंट करके खुशी मनाई थी। चार शताब्दियों से मिर्जा परिवार मिंजर चढ़ाकर मेले का आगाज करने की परंपरा निभा रहा है।