कांग्रेस विधायक दल मंगलवार को तय करेगा कि दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन रोकने का विधेयक लाना है या नहीं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को विधानसभा सत्र से पहले होने जा रही कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस संबंध में अंतिम राय बनेगी। चूंकि यह मामला विधायकों से संबंधित है तो इस पर पूरे विधायक दल की सहमति ली जाएगी। इस संबंध में रविवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी चर्चा हुई है, पर इस पर अंतिम निर्णय विधायक दल पर छोड़ा गया है।
रविवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय को कुछ मंत्रियों ने उठाया। दल-बदल कानून के शेड्यूल -10 में इस व्यवस्था को जोड़ने की बात की गई कि अगर कोई विधायक किसी प्रलोभन में अपना दल बदलकर दूसरे दल में जाता है और उसे इस आधार पर अयोग्य घोषित किया जाता है तो उसे पेंशन नहीं दी जानी चाहिए। यह विषय मंत्रिमंडल के एजेंडे में शामिल नहीं था। इसके बावजूद इस पर गंभीर चर्चा हुई, मगर यह तय किया गया कि इस पर कांग्रेस विधायक दल के सभी सदस्यों के साथ चर्चा की जानी चाहिए। विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर सकता है तो ऐसी स्थिति में सदन में चर्चा मांगी जा सकती है। इस चर्चा में विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी सत्तारुढ़ दल के विधायकों को तैयार किया जाएगा। संशोधित विधेयक का ड्राफ्ट कभी भी तैयार किया जा सकता है। सहमति बनने पर इसमें अधिक वक्त नहीं लगेगा। सत्र के बीच ही एक और मंत्रिमंडल की बैठक में विधेयक के इस ड्राफ्ट को मंजूरी दी जा सकती है।
बंद हो सकती है पूर्व विधायकों की पेंशन
अगर इस संबंध में मानसून सत्र में विधेयक लाया जाता है और इसे पारित कर लिया जाता है तो इसका सीधा असर कांग्रेस के अयोग्य घोषित किए गए पूर्व विधायकों की पेंशन पर पड़ सकता है। यह पूरी तरह से बंद की जा सकती है। जो विधायक अयोग्य घोषित करने के बाद दोबारा चुने गए हैं, उनकी भविष्य की पेंशन पर भी इसका असर पड़ सकता है।