किसानों की अच्छी धान की फसल और सब्जियों को लेकर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह जारी की है। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि कि धान में नाइट्रोजन की दूसरी और अंतिम मात्रा बाली बनने की प्रारंभिक अवस्था में करें। अधिक उपज देने वाली उन्नत प्रजातियों के लिए 30 किलोग्राम तथा सुगंधित प्रजातियों के लिए 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन डालें। अधिक वर्षा की स्थिति में मक्का के खेत से जल निकास का उचित प्रबंध करें। फसल में नर मंजरी निकलने की अवस्था एवं दाने की दुधियावस्था में सिंचाई की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है। पिछले दिनों में वर्षा न हुई हो या नमी की कमी हो तो इस अवस्था में सिंचाई अवश्य करें। मक्का की दाने के लिए कटाई तब करें, जब भुट्टों के ऊपर की पत्तियां सूखने लगे और दाना सख्त हो जाए।
प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में फूलगोभी की दरम्याना किस्में पालम उपहार, इंप्रूप्वड जापानीज और मेघा की तैयार पौध की रोपाई करें। इन्हीं क्षेत्रों में फूलगोभी की पिछेती किस्म पूसा स्नोवॉल 16, के-1, केटी.-25, पूसा सुधा और संकर किस्म श्वेता, 626, माधुरी, महारानी, लक्की, व्हाइट गोल्ड और बंदगोभी की किस्म प्राइड आफ इंडिया, गोल्डन एकड़, पूसा मुक्ता और संकर वरुण, वहार आदि, गांठ गोभी की किस्म व्हाइट वियाना, पालम टैंडरनॉब, परपल वियाना, ब्रॉकली की किस्म पालम समृधि, पालम हरीतिका, पालम कंचन व पालम विचित्रा तथा चाइनीज बंदगोभी की किस्म पालमपुर ग्रीन की पनीरी दें। इन्हीं क्षेत्रों में फूलगोभी की पिछेती किस्म, बंदगोभी, गांठ गोभी, मूली, शलगम, गाजर, पालक, मेथी इत्यादि की बिजाई का भी उचित समय चल रहा है।
धान के पतों को काटने पर करें छिड़काव
धान की फसल में पत्ता लपेट कीट के नियंत्रण के लिए कीटग्रस्त पत्तों को काट दें। खेत व मेड़ों से घास आदि निकाल दें। इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर क्लोरपाइरिफॉस 20 ईसी. 2.5 मिलीलीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। धान में तना छेदक कीट के आक्रमण की स्थिति में सफेद बालियां बनती हैं। 5 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर लेम्डा साइलोहेथिन 0.8 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के घोल बनाकर छिड़काव करें।