
हिमाचल प्रदेश में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड के तर्ज पर शूटिंग नीति बनाई जानी चाहिए। हिमाचल के फिल्म लाइन प्रोड्यूसरों ने प्रदेश सरकार से शूटिंग की अनुमति के लिए सिंगल विंडो सुविधा उपलब्ध करवाने और शूटिंग साइट की फीस का युक्तिकरण करने की मांग उठाई है। प्रदेश सरकार ने बीते साल बजट में हिमाचल की फिल्म शूटिंग पालिसी बनाने का एलान किया था।
फिल्म शूटिंग नीति बनने से जहां एक ओर हिमाचल फिल्म निर्माण का हब बनेगा, वहीं इससे राज्य की खूबसूरत पर्यटक स्थलों को देश दुनिया में नई पहचान भी मिलेगी। युवाओं को रोजगार मिलेगा और देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास की जानकारी देश-विदेश में प्रसारित होगी। हिमाचल में शूटिंग नीति न होने से निर्माता-निर्देशक हिमाचल का रुख नहीं कर रहे।
लंबे समय से किसी बड़े बैनर की फिल्म या वेब सीरीज की हिमाचल में शूटिंग नहीं हुई है। शूटिंग न होने से जहां प्रदेश के लाइन प्रोड्यूसर निराश हैं वहीं इसका असर प्रदेश के पर्यटन कारोबार पर भी पड़ रहा है। सुविधाओं के अभाव में फिल्म निर्माता हिमाचल के स्थान पर जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड को महत्व दे रहे हैं। प्रदेश सरकार बजट में नई फिल्म नीति बनाने का एलान किया था। दावा किया गया था कि हिमाचल में फिल्माई गई फिल्मों को बेस्ट मूवीज का पुरस्कार दिया जाएगा। निर्माताओं की सुविधा के लिए सिंगल विंडो फिल्म सेल स्थापित होगा। शूटिंग से संबंधित सभी अनुमतियां ऑनलाइन माध्यम से तीन दिन के भीतर उपलब्ध करवाई जाएगी, लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ी।
औपचारिकताओं के फेर से बचने को उत्तराखंड, कश्मीर जा रहे निर्माता
हिमाचल के लाइन प्रोड्यूसर दीपक भागड़ा और मनु सूद का कहना है कि हिमाचल में शूटिंग की अनुमति के लिए इतनी अधिक औपचारिकताएं है कि फिल्म या वेब सीरिज निर्माता उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर का रुख कर रहे हैं। प्रदेश के वनों में शूटिंग के लिए 5,000 रुपये रोजाना की फीस तय की गई है और 10,000 रुपये रोजाना सिक्योरिटी ली जाती है।
शिमला के रिज मैदान और मालरोड पर शूटिंग की फीस 75,000 और टैक्स है। भारी भरकम फीस के अलावा अनुमतियां मिलने में लगने वाले लंबे समय के कारण शूटिंग यूनिट हिमाचल नहीं आ रही। फेडरेशन ऑफ हिमाचल होटल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि हिमाचल में फिल्मों की शूटिंग होने से पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार को नई फिल्म नीति के सरल बनाकर प्रदेश में शूटिंग को बढ़ावा देना चाहिए।