हिमाचल में प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव पर रोक बरकरार, मेरिट से ही मनोनयन…

Ban on direct student union elections in Himachal remains, nomination based on merit only

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कॉलेजों में इस बार भी प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे। इस सत्र में भी मेरिट के आधार पर ही विवि परिसर और कॉलेजों में एससीए का मनोनयन होगा। कॉलेज प्राचार्याें की कुलपति के साथ हुई बैठक में छात्र संघ चुनाव पर राय लेने के बाद विवि की हाई पावर कमेटी ने इस बार मेरिट के आधार पर ही एससीए का मनोनयन करने का निर्णय लिया है। कुलपति प्रो. एसपी बंसल की अनुमति के बाद विवि के कुलसचिव ने इसका शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके अनुसार विवि के डीएसडब्लू कार्यालय और कॉलेज प्राचार्यों को 18 से 27 सितंबर के बीच यूनिवर्सिटी स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन और कॉलेज स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन (सीएससीए ) के 2016 में बनाए गए संविधान के अनुसार एससीए का गठन करना होगा। प्राचार्यों को तय की समय अवधि में सीएससीए का गठन कर इसकी लिस्ट विवि को भेजने के निर्देश दिए हैं। 

अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ममता मोक्टा ने विभागों को तय अवधि में एससीए गठन की प्रक्रिया को पूरा करने को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें विभागों को विभागीय प्रतिनिधियों की मेरिट आधार पर विभागाध्यक्षों को अनुशंसा करनी होगी। विभागाध्यक्ष और निदेशक की ओर से मनोनयन के फार्म 21 सितंबर दो बजे तक डीएसडब्लू कार्यालय में पहुंच जाने चाहिए।  इसी के आधार पर 27 सितंबर तक विवि परिसर की स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन का गठन किया जाना है। 21 सितंबर तक विभागों की ओर से मनोनयन को लेकर अनुशंसा न पहुंचने पर पात्र छात्र का एसीए के लिए मनोनयन होने की पूरी जिम्मेदारी विभागाध्यक्ष और संस्थान के निदेशक की रहेगी। एचपीयू ने मनोनयन की प्रक्रिया का शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके अनुसार ही गठन की प्रक्रिया पूरी करवानी होगी।

वर्ष की आयु पीजी, पीएचडी शोधार्थियों के लिए 28 साल की आयु सीमा की गई तय
स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स से मेरिट आधार पर मनोनीत होने वाले विद्यार्थियों के लिए 31 जुलाई 2024 तक 25 वर्ष की आयु सीमा तय की गई है। एलएलएम , एमटेक और पीएचडी शोधार्थी प्रतिनिधि सदस्य के लिए 31 जुलाई 2024 तक 28 वर्ष की आयु सीमा तय है। 

2014 से नहीं हो रहे हैं प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव
विवि और कॉलेज परिसरों में 2014 में हुई हिंसा के बाद एससीए चुनाव पर रोक लगा दी गई। दस साल बीत जाने पर भी विवि प्रशासन और प्रदेश सरकार चुनाव बहाल करवाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। 2016 में विवि ने लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों और विवि के स्तर पर बनी विशेष कमेटी की अनुशंसा पर मेरिट आधार पर कॉलेज और विवि की एससीए के गठन का संविधान बनाकर लागू किया। 

बहाली की मांग कर रहे छात्र संगठन फिर निराश 
शिमला। लगातार दस सालों से प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए संघर्ष कर रहे छात्र संगठनों की उम्मीदों पर इस बार भी पानी फिर गया है। उम्मीद थी कि छात्र नेता रहे मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस बार चुनाव पर लगी रोक को हटाएंगे, जो पूरी नहीं हुई। ब्यूरो

ऐसे किया जाता है मनोनयन से गठन
शिमला। विवि में स्नातकोत्तर डिग्री, एमटेक, एलएएलएम और शोधार्थियों को भी मेरिट तैयार की जाती है। इसे अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय को भेजा जाता है। डीएसडब्ल्यू कार्यालय विवि की मेरिट बनाकर इन में से ही मुख्य अचार पदों के लिए  मेरिट आधार पर छात्रों का मनोनयन करते है। एससीए में सांस्कृतिक और खेल से जुड़े विद्यार्थी भी शामिल होते हैं। अकादमिक कोटे में पहले सेमेस्टर से एक टॉपर, तृतीय से एक और पांचवें से भी एक अकादमिक टॉपर एससीए में होगा। इसके अलावा एससीए में एलएलएम, एमफिल, पीएचडी से एक एक। मुख्य पदों पर एक  ही फैकल्टी से एक से अधिक पदाधिकारी न हो। तीसरे और पांचवें सेमेस्टर से एकेडमिक टॉपर को एससीए में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पहले सेमेस्टर से सचिव और संयुक्त सचिव मनोनीत किए जाते है। नव गठित एससीए  कार्यकाल एक वर्ष रहता है। कॉलेजों में पहले संकायवार एससीए में मनोनीत किए जाने के लिए सदस्य मेरिट पर तय किए जाते हैं। 

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