हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में नवंबर में होने वाले कृषि कार्यों को लेकर कृषि विवि पालमपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी सलाह जारी की है। कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रदेश में गेहूं रबी मौसम की मुख्य फसल है। गेहूं को शुरू में ठंडा वातावरण चाहिए। उन्होंने कहा कि वातावरण शुरू में गर्म हो तो जड़ें कम बनती हैं और बीमारियां भी लगती हैं। निचले एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों के किसान नवंबर के प्रथम पखवाड़े में एचपीडब्ल्यू-155, एचपीडब्ल्यू.-236, वीएल.-907, एचएस-507, एचएस-562, एचपीडब्ल्यू.-349, एचपीडब्ल्यू.-249 व एचपी.डब्ल्यू.-368, किस्में लगाएं। निचले क्षेत्रों में किसान एचडी.-3086, डीपी डब्ल्यू.-621-50-595 व एचडी-2687 लगाऐं। बिजाई के लिए रैक्सिल अथवा बैविस्टिन या विटावैक्स से बीज को उपचारित करें।
गेहूं के लिए ये करें
गेहूं की बिजाई जहां अक्तूबर के शुरू में की गई हो और खरपतवारों के पौधे 2-3 पत्तों की अवस्था में हों, बिजाई के 35-40 दिन हो गए हों तो यह समय गेहूं में खरपतवार नाशक रसायनों के छिड़काव का है। जबकि प्रदेश के निचले एवं मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की सुधरी प्रजातियों जैसे पटना रैड, नासिक रैड, पालम लोहित, पूसा रैड, एएफडीआर, एएफएलआर और संकर किस्मों इत्यादि की पनीरी दें। फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, चाइनीज सरसों पालक, लैटयूस, मेथी, धनिया, क्यूं-वाकला आदि को भी लगाने उचित समय है।
छिड़काव करें
जिन क्षेत्रों में विशेष रूप से बारानी क्षेत्रों में भूमि में पाये जाने वाले कीटों जैसे कि सफेद सुंडी, कटुआ कीट और दीमक आदि का अत्याधिक प्रकोप होता है। वहां गेहूं, चना, मटर आदि की बिजाई से पहले क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी 2 लीटर रसायन को क्षेत्रफल के हिसाब से खेत में छिड़काव करें। गोभी वर्गीय सब्जियों की पौध लगाने से पहले कटुआ कीट से प्रभावित हेतु खेतों में भी उपरोक्त कीटनाशक व विधि को अपनाएं। सरसों वर्गीय फसलों में तेले का प्रकोप हो सकता है। इससे बचाव के लिए मेलाथियोन कीटनाशक का छिड़काव करें।