धज्जी, फीता, रंदा और सूत जैसे पारंपरिक तरीकों से निर्माण कार्य अब गुजरे जमाने की बात होगी। गांवों में अब इनकी जगह लेजर तकनीक से घर बनेंगे। मकान की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई मापने के लिए दोनों ओर से फीता पकड़ने की जरूरत नहीं होगी। लेजर के डिस्टेंस मीटर से महज एक क्लिक में यह काम हो जाएगा। प्लास्टर, चिनाई और फर्श डालने जैसे कार्यों को भी सटीक तरीके से करने के लिए घंटों का समय नहीं लगेगा। लेजर तकनीक से समय और पैसा दोनों बचेंगे।
दरअसल, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर और आईआईटी मंडी राजमिस्त्रियों, काष्ठकार यानी हस्तशिल्पियों समेत 18 ट्रेड में प्रशिक्षण दे रहे हैं। एनआईटी में वास्तुकला विभाग में स्थापित केंद्र में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी बढ़ई ट्रेड में 11 ने प्रशिक्षण लिया है, जबकि राजमिस्त्रियों का बैच 28 नवंबर से शुरू हुआ है। मौजूदा समय में 21 राजमिस्त्रियों को यहां प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईआईटी मंडी में भी जल्द ही राजमिस्त्रियों का बैच बैठेगा।
पहले फर्श की लेवलिंग के लिए पाइप का प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब यह काम लेजर तकनीक से संभव हो सकेगा। धज्जी और प्लास्टर लेवलिंग भी डिजिटल वाटर सिस्टम से होगी। फीते से दूरी, ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई के एरिया को कैलकुलेट किया जाता था, जिसे अब डिस्टेंस मीटर से किया जाएगा। रंदा चलाने के बजाय पावर इलेक्ट्रिकल प्लेनर से काम होगा। अलमारी की सतह सीधी है या नहीं, पहले सूत से यह तय होता था, लेकिन अब लेजर डिजिटल लेवल से इसे आसानी से किया जा सकेगा।
15,000 रुपये की मदद
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 18 ट्रेड में कौशल को और निखारने के लिए मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण दे रहे हैं। 500 रुपये प्रतिदिन स्टाइपंड दिया जाता है। लाभार्थियों को पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट, पहचान पत्र, 15,000 रुपये का टूलकिट आदि भी दिए जाते हैं।
5% ब्याज पर तीन लाख रुपये लोन
योजना में कारपेंटर, सुनार, मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान बनाने वाले कुम्हार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री, मछली का जाल बनाने वाले, खिलौने बनाने वाले आदि शामिल किए गए हैं। इन्हें तीन लाख रुपये का लोन दिया जाता है। पहले काम शुरू करने के लिए एक लाख और उसके विस्तार के लिए दूसरे चरण में दो लाख रुपये दिए जाते हैं। यह लोन सिर्फ पांच फीसदी ब्याज पर दिया जाता है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। योजना में मास्टर ट्रेनर आधुनिक उपकरणों के प्रयोग के बारे में सिखा रहे हैं ताकि निर्माण गतिविधियों के परिणाम सटीक और कम समय में हों। – भानु मारवाह, वास्तुकला विभाग के प्रोफेसर, एनआईटी हमीरपुर
आईआईटी मंडी के सेंटर फॉर कंटीन्यूइंग एजुकेशन में इस कार्यक्रम की शुरुआत 21 प्रतिभागियों के साथ दर्जी ट्रेड से हुई है। 143 कारीगरों को प्रशिक्षण दिया गया है। राजमिस्त्री ट्रेड अभी शुरू नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में विभिन्न ट्रेडों के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। – सुनील कुमार, बढ़ई ट्रेड के प्रशिक्षक
लेजर से कम समय में सटीक लेवलिंग की जा सकती है। लेजर डिस्टेंस मीटर से पैमाइश बेहद कम समय में बिल्कुल सटीक होती है। प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करने का मौका मिला है। नई तकनीक से समय और पैसे की बचत होगी।