
पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के पन्याला गांव के हरिमन शर्मा अब आडू, प्लम, खुमानी पर भी शोध को पूरा करने वाले हैं। चार साल से चल रहा उनका यह शोध इन फलों को गर्म क्षेत्रों में उत्पादन करने पर है। हरिमन शर्मा के मुताबिक शोध प्रक्रिया आखिरी चरण में है। इस साल के अंत तक शोध पूरा होने की उम्मीद है। इसके पूरा होने के बाद आडू, पलम, खुमानी के पौधे पूरे देश में उपलब्ध कराए जाएंगे। हरिमन शर्मा ने बताया कि बागवानी में नए शोध करना और बागवानों को उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध करवाना अब उनका जीवन का लक्ष्य बन गया है ताकि किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ ह हो सके।
हरिमन शर्मा का बागवानी में शोध करने सफर 1999 में शुरू हुआ। गरीबी के बावजूद उन्होंने आम की खेती को छोड़कर सेब की तरफ रुख किया। शुरुआत में हर साल तीन से चार लाख रुपये का घाटा होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और सेब की खेती में मेहनत की। उन्होंने एचआरएमएन 99 नामक सेब की नई किस्म तैयार की, जो अब 29 राज्यों के साथ विदेशों में भी उत्पादित हो रही है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके डीएनए का परीक्षण किया और 2022 में एचआरएमएन 99 का पेटेंट प्राप्त हुआ। इस किस्म के सेब के पौधों को बेचकर हरिमन शर्मा को सालाना 50 से 60 लाख रुपये की आय हो रही है। सेब पर सफल शोध करने के बाद हरिमन शर्मा आडू, प्लम, खुमानी और एवोकैडो पर शोध करके रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि इन पौधों को उन क्षेत्रों में भी उगाया जा सके जहां उनकी उपज नहीं होती है।