प्रदेशभर में कोरोना काल में स्थापित पीएसए प्लांट फिर बंद हो जाएंगे। 30 सितंबर को पीएसए प्लांट में आउटसोर्स में तैनात 32 तकनीकी कर्मचारियों का सेवाकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में इन कर्मचारियों को बेरोजगार होने का संशय भी पैदा गया है। इन कर्मचारियों का जुलाई में सेवा विस्तार हुआ था। अब इन कर्मचारियों पर फिर बेरोजगारी की तलवार लटकती दिखाई दे रही है। बीते आदेशों के मुताबिक 30 सितंबर के बाद ये कर्मचारी स्वयं भारमुक्त हो जाएंगे। साथ ही प्लांट को चलाने के लिए स्थायी कर्मी तैनात करने के लिए कहा है। अस्पतालों में पहले ही नियमित कर्मचारियों की कमी है। यदि नियमित स्टाफ इसे चलाता है तो उन्हें एक तो किसी भी प्रकार का तकनीकी ज्ञान नहीं हैं। ऐसे में विभाग पर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। आदेशों को जारी करने से पहले विभागाध्यक्षों ने मरीजों को मिल रही सुविधा के बारे में भी नहीं सोचा है। गौरतलब है कि प्रदेशभर में करोड़ों रुपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट लगाए थे। इन प्लांट से न केवल कोरोना पीड़ितों को फायदा मिल रहा था। बल्कि अन्य सांस संबंधी मरीजों को भी आसानी थी। वहीं ऑक्सीजन सिलिंडरों की खपत भी अस्पतालों में प्लांट के बाद कम हो गई थी। प्लांट को आउटसोर्स पर लगे कर्मचारी लगभग 20 से 24 घंटे तक चला रहे थे। इन कर्मचारियों को निकालने के बाद प्लांट में ताला लग जाएगा है। इस कारण अस्पतालों में मरीजों को सिलिंडर के जरिए ही ऑक्सीजन मिलेगी। इससे अस्पतालों का खर्चा और अधिक बढ़ जाएगा