
कालका-शिमला नेशनल हाईवे पांच पर चक्कीमोड़ में डेढ़ साल में तीन बाद ड्राइंग बदल दी है। अब यहां पर आरएस वॉल से पुल बनाने का प्रस्ताव है। इसकी ड्राइंग भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कंपनी को दे दी है। बताया जा रहा है कि पहाड़ी में डंगा लगाकर सड़क बनाने की ये सबसे कारगर विधि है। इस विधि का प्रयोग शमलेच टनल को जाने वाली सड़क पर किया है। शमलेच टनल को जा रही सड़क भी धंस गई थी। इसके बाद यहां पर आरएस वॉल का डंगा लगाया गया था। इसी तरह अब चक्कीमोड़ में भी कार्य किया जाएगा। इसमें जालीदार डंगा सड़क के किनारे पर लगाया जाता है। इसके बाद मिट्टी और जीयो बेल्ट लगाकर लेवल किया जाएगा और सड़क को पक्का किया जाएगा। डेढ़ सालों से मृदा सैंपल के बाद अब एनएचएआई नतीजे पर पहुंचा है।
पहले यहां पर पुल निर्माण करने के लिए ड्राइंग तैयार की गई थी। लेकिन मिट्टी सैंपल रिपोर्ट आने के बाद इसे रद्द कर दिया गया था। इसके बाद एनएचएआई ने वायाडक्ट निर्माण को लेकर ड्राइंग बनाई थी। हैरत की बात तो ये है कि वायाडक्ट भी कागजों में ही सीमट गया था। अब फिर सैंपल जांच के बाद नई ड्राइंग कंपनी को दी गई है। कार्य शुरू करने के लिए कंपनी मृदा सैंपल जांच रही है। गौर रहे कि परवाणू-सोलन तक फोरलेन निर्माण कार्य अब पूरा हो गया है। अब केवल बरसात के दौरान ढही सड़क को ठीक करने का कार्य किया जा रहा है। ये कार्य एनएचएआई की ओर से अन्य कंपनी को दिया है। वर्तमान में दो जगहों पर कंपनी कार्य कर रही है। लेकिन चक्कीमोड़ में कार्य शुरू नहीं हो पाया है। 400 मीटर का पैच पर लोगों को काफी दिक्कतें रह है। पहाड़ी से आई मिट्टी की बनी सड़क पर आवाजाही चली हुई है।
2023 में ढह गई सड़क
चक्कीमोड़ में दो अगस्त 2023 की रात को सड़क ढह गई थी। मुस्लाधार बारिश के कारण पहाड़ी से मलबा आने से सड़क का भी नामोनिशान मिट गया था। उस दौरान करीब सात दिन तक आवाजाही पूरी तरह बंद रही थी। कंपनी की ओर से यहां पर पहाड़ी से आई मिट्टी को हटाने का कार्य किया। यहां पर आईआईटी, एनएचएआई टेक्निकल टीम, एक्सपर्ट टीम समेत अन्य ने दौरा भी किया। रिपोर्ट आने में भी लंबा समय लग गया।
चक्कीमोड़ में अब आरएस वॉल सड़क बनाने की तैयारी है। ये एक पुल की तरह तैयार होती है। इस प्रकार का कार्य शमलेच में टनल को जाने वाली सड़क पर किया है। अभी मृदा सैंपल लिए जा रहे हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद कार्य शुरू हो जाएगा।