हिमाचल प्रदेश में निजी निजी बस ऑपरेटरों ने तर्क दिया कि कई रूट ऐसे हैं जहां निजी ऑपरेटर 42 सीटर बसें चला रहे हैं, लेकिन इनमें सवारियां कम हैं। ऑपरेटरों को सवारियों के हिसाब से टैक्स देना पड़ रहा है। ऐसे में सीट की क्षमता को कम किया जा सकता है।
हिमाचल सरकार निजी ऑपरेटरों को राहत देने जा रही है। बसों में सीटों की क्षमता को कम करने के निर्णय पर सरकारी स्तर पर मथापच्ची चल रही है। हाल ही में अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम की अध्यक्षता में परिवहन निगम, विभाग के अधिकारियों और निजी ऑपरेटरों की बैठक हुई थी। इसमें इस मामले पर विस्तृत चर्चा हुई।
निजी ऑपरेटरों ने तर्क दिया कि कई रूट ऐसे है जहां निजी ऑपरेटर 42 सीटर बसें चला रहे हैं लेकिन इनमें सवारियां कम हैं। ऑपरेटरों को सवारियों के हिसाब से टैक्स देना पड़ रहा है। ऐसे में सीट की क्षमता को कम किया जा सकता है। निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन आरडी नजीम में बैठक में इस मामले को सुलझाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बैठक में एचआरटीसी द्वारा बनाई जा रही स्कीम पर आपत्तियां सुनी और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी हुई। निजी बस ऑपरेटरों की मांगो को प्रधान सचिव के समक्ष प्रमुखता से उठाया और प्रधान सचिव ने प्राथमिकता के आधार पर उन मांगों को सुलझाने का आश्वासन दिया।
शूलिनी निजी बस ऑपरेटर यूनियन के प्रधान रंजीत ठाकुर, कांगड़ा जिला निजी बस ऑपरेटर कल्याण समिति के प्रधान रवि दत्त शर्मा, जिला कुल्लू के प्रधान रजत जमवाल, ऊना के प्रधान मोनू मनकोटिया, बिलासपुर के प्रधान राजेश पटयाल ने कहा कि कुछेक निजी ऑपरेटर किराये बढ़ोतरी को निर्णय को वापस लेने की बात कह रहे हैं। इनका कहना है कि प्रदेश में बस किराया बढ़ाना समय की मांग है और सरकार ने यह निर्णय समझदारी से ही लिया है। निजी बस ऑपरेटर सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं।