दुर्लभ और मूल्यवान कीड़ाजड़ी को एक छात्र ने भूरे चावल के दानों पर उगा दिया। यह दावा किया है डॉ. वाईएस बागवानी परमार एवं वानिकी विवि नौणी
हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली दुर्लभ और मूल्यवान कीड़ाजड़ी को एक छात्र ने भूरे चावल के दानों पर उगा दिया। यह दावा किया है डॉ. वाईएस बागवानी परमार एवं वानिकी विवि नौणी के सात्विक चौहान ने। उन्होंने तीन महीने के अंदर आधा किलो कीड़ाजड़ी मशरूम उगाकर कर युवाओं को स्वरोजगार की राह दिखाई है। इसका एक किलो का बाजार मूल्य 80 हजार रुपये तक है। शिमला की निकटवर्ती कोटखाई तहसील के भवाणा (पुड़ग) गांव के सात्विक चौहान ने मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना के तहत पढ़ाई के साथ-साथ यह प्रयोग किया।
वह विश्वविद्यालय से वानिकी में बीएससी करने के बाद अब एग्री बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए कर रहे हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में सात्विक ने इस परियोजना पर काम शुरू किया। इसके लिए विश्वविद्यालय के मशरूम रिसर्च सेंटर में उन्हें इस उद्यम पर काम करने के लिए कमरा दिया। विश्वविद्यालय से ही उन्हें कीड़ाजड़ी मशरूम को उगाने के लिए उपकरण और रसायन उपलब्ध करवाए जाते रहे। सात्विक चौहान ने अभी इसे प्रायोगिक तौर पर शुरू किया है। वह इसे वाणिज्यिक तरीके से भी शुरू करेंगे। उन्हें स्टार्टअप योजना के तहत 25 हजार रुपये मासिक मिलेंगे।
कीड़ाजड़ी एक तरह का मशरूम है। यह एक कीड़े पर उगता है। यह मशरूम आधा कीड़ा और आधी वनस्पति की तरह नजर आता है। कीड़े पर यह मशरूम जंगल में प्राकृतिक तरीके से उगता है। कीड़े से यह पनपने के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व लेता है। कीड़े को आधार बनाने के बजाय ब्राउन राइस को आधार बनाया गया। इस पर यीस्ट का एक्स्ट्रेक्ट, शूगर आदि को डाला गया है। भूरे चावल पर पोषक तत्वों की मात्रा अच्छी होती है।
कीड़ाजड़ी कैंसर सेल की वृद्धि को रोकती है। इसके सेवन से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है। इससे टांगों में सूजन कम हो जाती है। गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए भी कीड़ाजड़ी का सेवन अच्छा माना जाता है। यह दिल की सेहत के लिए अच्छी होती है। अनियमित धड़कन को दुरुस्त करती है। दमा के मरीजों के लिए भी अच्छी होती है। कई बार शुद्ध शाकाहारी लोग कीड़े पर उगे जंगली मशरूम से परहेज करते हैं तो उनके लिए प्रयोगशाला में उगाई कीड़ाजड़ी अच्छा विकल्प है।