सुक्खू सरकार में दो और मंत्री बनने के बाद अब निगम-बोर्डों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद पर तैनाती को लेकर विधायक और पार्टी नेता जुगत भिड़ाने में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि 25 सालों से संगठन का झंडा उठाने वाले नेताओं को सरकार में तरजीह दी जाएगी। ऐसे में नेताओं ने कुर्सी पाने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है। कई नेता हाईकमान तो कई मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दरबार में हाजिरी भर रहे हैं। 30 से अधिक नेताओं ने बिजली बोर्ड, परिवहन निगम, एचपीएमसी, सिविल सप्लाई और एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन, महिला आयोग, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में तैनाती को लेकर इच्छा जताई है। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी निगम और बोर्डों में चेयरमैन-वाइस चेयरमैन के पद भरे गए थे। विस चुनाव में हारे नेताओं को भी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाया गया था। उस समय कांग्रेस ने विपक्ष में रहते इसका कड़ा विरोध किया था। सरकार में इसको भी ध्यान रखा जा रहा है। करोड़ों के कर्जे में डूबी है सरकार बताया जा रहा है कि निगम और बोर्डों में 10 के करीब अध्यक्ष-उपाध्यक्ष तैनात किए जाने हैं। सरकार के महत्वपूर्ण निगम और बोर्डों के चेयरमैन मंत्री ही होंगे। सरकार इस समय करोड़ों के कर्जे में डूबी है। ऐसे में सरकार निगम और बोर्डों में कम से कम अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाने की योजना बना रही है।